गाय के पुराने घी के गुण

गाय के पुराने घी के गुण

आज का हमारा युवा-वर्ग हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा बताई गई ज्ञान और उपयोगिता से बहुत दूर होता गया है लेकिन आज भी बड़े-बड़े वैज्ञानिक उन्ही चीजो की खोज आज करके भी उसी प्रमाणिकता को प्राप्त करते है जो हमारे पूर्वजो ने की थी क्या आपको पता है कि गाय के घी(Cow Ghee)में कितनी गुणवत्ता है शायद ये बहुत कम लोगो को जानकारी है तो आइये जानते है गाय के देशी घी का महत्व हमारे जीवन में क्या है-

क्या आप जानते है-
1.    यज्ञ में देशी गाय के घी(Cow Ghee)की आहुतियां देने से पर्यावरण शुध्द होता है गाय के घी में चावल मिलाकर यज्ञ में आहुतियां देने से इथिलीन आक्साइड और फाममोल्डिहाइड नामक यौगिक गैस के रूप में उत्पन्न होते हैं इससे प्राण वायु शुध्द होती है ये दोनों यौगिक जीवाणरोधक होते हैं-
2.    प्रातः सूर्योदय के समय एवं सायंकाल सूर्यास्त के समय गाय का घी(Cow Ghee)और चावल मिलाकर दो-दो आहूतियां मंत्र के साथ देने पर आसपास का वातावरण कीटाणु रहित(Disinsected)हो जाता है-
3.    गाय के  घी से आहुतियां देने पर यह देखा गया है कि जितनी दूर तक यज्ञ के धुएं का प्रभाव फैलता है उतनी ही दूर तक वायुमंडल में किसी प्रकार के कीटाणु नहीं रहते है और वह क्षेत्र पूरी तरह से कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है-
4.    कृत्रिम वर्षा कराने के लिए वैज्ञानिक, प्रोपलीन आक्साइड गैस का प्रयोग करते हैं-गाय के घी से आहुति देने पर यह गैस प्राप्त होती है प्राचीन काल में भू-जल का उपयोग कृषि में सिंचाई के लिए नहीं किया जाता था-यज्ञ होते रहने से समय-समय पर वर्षा होती रहती थी-
5.    शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की गाय के घी में असीम क्षमता हैं- 
6.    अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं और सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं -
 

गाय के घी(Cow Ghee)से लाभ-
1.    हमारे बुजुर्ग कहा करते थे पुराना घी गुणी होता है जी हाँ ये सच है जितना ही गाय का घी पुराना हो उतना ही गुणी हो जाता है पुराना घी तीक्ष्ण, खट्टा, तीखा, उष्ण, श्रवण शक्ति को बढ़ाने वाला घाव को मिटाने वाला, योनि रोग, मस्तक रोग, नेत्र रोग, कर्ण रोग, मूच्छा, ज्वर, श्वांस, खांसी, संग्रहणी, उन्माद, कृमि, विष आदि दोषों को नष्ट करता है दस वर्ष पुराने घी को कोंच, ग्यारह वर्ष पुराने घी को महाघृत कहते हैं-
2.    स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन रात्रि को सोते समय दो बूंद देशी गाय का गुनगुना घी दोनों नाक के छेदों में डालें-यह घी रात भर मस्तिष्क को प्राणवायु पहुंचाता रहता है और विद्युत तरंगों से मस्तिष्क को चार्ज करता रहता है इससे मस्तिष्क की शक्ति बहुत बढ़ जाती है यदि यह क्रिया प्रातः, अपराह्न और रात को सोते समय  कई माह तक की जाती रहे तो श्वास के प्रवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और अनेक पुराने रोग ठीक हो जाते हैं-
3.    नाक में दो बूंद गाय का घी डालने से शुष्कता, सूजन, रक्तस्राव, सर्दी, सायनस संक्रमण, नासिका गिल्टी आदि ठीक हो जाते हैं और वायु मार्ग खुल जाने से श्वास की बाधा दूर हो जाती है तथा नाक में घी डालने के साथ-साथ दो बूंद घी नाभि में डालें और फिर अंगुली से दोनों ओर थोड़ी देर घुमाएं-गाय का घी अपने हाथ से पांव के तलवों पर मालिश करें, इससे बहुत अच्छी नींद आती है शांति और आनन्द प्राप्त होता है-बस एक माह कर के देखे-
4.    देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है जो जवानी को कायम रखते हुए आपके बुढ़ापे को दूर रखता है तथा काली गाय का घी नियमित खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है-
5.    गाय के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते है गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है-
6.    गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रीस मौजूद होते हैं जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रीस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है-
7.    यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं-यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने कि तथा धार्मिक समारोह में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है और नकारात्मक उर्जा भी समाप्त होती है-
 

Blog Category: