गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है

गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है

गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है, इसके अन्दर ‘कार्बोलिक एसिड‘ होता है, जो कीटाणु नासक है | गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है और इसमें कैसर को रोकने वाली ‘करक्यूमिन‘ पायी जाती है | गौमूत्र में नाइट्रोजन ,फास्फेट, यूरिक एसिड, पोटेशियम, सोडियम, लैक्टोज, सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई, इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है | गौमूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है | आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन, कई बीमारियों को खत्म कर सकता है।

नियमित रूप से 20 मिली गौमूत्र प्रात: सायं पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है।

1. भूख की कमी,

2. अजीर्ण,

3. हर्निया,

4. मिर्गी,

5. चक्कर आना,

6. बवासीर,

7. प्रमेह,

8. मधुमेह,

9. कब्ज,

10. उदररोग,

11. गैस,

12. लू लगना,

13. पीलिया,

14. खुजली,

15. मुखरोग,

16.ब्लडप्रेशर,

17. कुष्ठ रोग,

18. जांडिस,

19. भगन्दर,

20. दन्तरोग,

21. नेत्र रोग,

22. धातु क्षीणता,

23. जुकाम,

24. बुखार,

25. त्वचा रोग,

26. घाव,

27. सिरदर्द,

28. दमा,

29. स्त्रीरोग,

30. स्तनरोग,

31. छिहीरिया,

32. अनिद्रा

जो लोग नियमित रूप से गौमूत्र का सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।

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