गोपाष्टमीः गाय की सेवा कर ऐसे बनें भाग्यशाली !!

आज मंगलवार के दिन  गाय माता की सेवा कर भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व गोपाष्टमी मनाया गया. गोपाष्टमी भारतीय संस्कृती का प्रमुख त्योहार माना गया हैं. इस दिन गाय माता की पूजा की जाती हैं. गौमाता को विश्वमाता कहा जाता हैं. क्योंकि गौमाता ममतामयी, त्याग, बलिदान और आत्मीयता कहा का प्रतिक हैं. जंगल में जंगली जानवरों से सामना होने पर गाय खुद की जान जोखिम में डाल देती है. और झुंड बनाकर अपने पालक और रक्षक को घेरकर उनकी जान बचाती है.

कानपुर के गुजैनी स्थित रामलीला मैदान में गोपाष्टमी पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में आए बालयोगी अरुण चैतन्यपुरी ने कहा कि गौमाता का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है. उन्होंने ये भी कहा की गाय का बहुत महत्व होता है इसलिए गाय का दूध निकालने ने बाद उसे न छोड़ने की अपील भी की.

कार्यक्रम में 51 गायों की रोचना, आरती और पूजन कर चारा दिया गया. इस मौके पर गाय की रक्षा का लोगों ने संकल्प लिया. गोपाष्टमी पर गाय की पूजा का विशेष महत्व हैं गोपाष्टमी कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को आती हैं. इस दिन गायों को प्रातः काल स्नान करवाया जाता हैं. उनका गन्ध पुष्पादी से पूजन किया जाता हैं. इसके पश्चात यदि संभव हो तो गायों के साथ कुछ दूर तक चलना चाहिए. कहते हैं ऐसा करने से प्रगत्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं. गायों को भोजन कराना चाहिए तथा उनकी चरण को मस्तक पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से सौभाग्य की वृध्दि होती है.