गोवंशरक्षा - कल आज और कल

गोवंशरक्षा - कल आज और कल

गोवंशरक्षा - कल आज और कल गोवंश का इतिहास मनुष्य और सृष्टि के प्रारम्भ से शुरु होता है. पृथु मनु ने गोदोहन किया और पुथ्वी पर कृषि का प्रारंभ किया और यह धरा पृथ्वी कहलाई. मानव संरक्षण, कृषि और अन्न उत्पादन में गोवंश का अटूट सहयोग और साथ रहा है. इसही कारण ह्मर्रे शास्त्र वेद पुराण गोमहिमा से भरे है. रघुवंश के रजा दिलीप गोसेवा के पर्याय और राम जन्म सुरभि के दुग्ध द्वारा तैआर खीर से माना गया है यहां तक कि गाय (गोबर) का मलमूत्र एक पर्यावरण रक्षक के रूप में माना जाता था और फर्श और घरों की दीवारों रसोई में इस्तेमाल किया गया था. गोमूत्र शुद्ध करने के लिए हर घर,मानव शरीर में छिड़काव एक आम बात थी. गोधन धन के रूप में और धन के एक उपाय के रूप में माना जाता था. गाय का दान एक सबसे महान के रूप में कार्य के रूप में माना जाता था, शिव का वाहन - धर्म का अवतार नंदी वृषभ 'संस्कृत अंग्रेजी शब्द' बैल 'के बराबर है. नंदी बैल भगवान शिव का वाहन है. वैदिक साहित्य में शिव शब्द 'जनता के कल्याण' (लोक कल्याण) का पर्याय है. और बैल लोक कल्याण कर्ता का वाहक है.हमारी कृषि और ग्रामीण परिवहन की 90% अभी भी हमारे बैलों पर निर्भर हैं. बैल इस प्रकार हमारे धर्म के अवतार हैं. वस्तुतः बैल मानव जाति का एक भाई है, और जो आदमी के लिए काम करता है, वह भी कोई पारिश्रमिक बिना, 3 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद बछड़ा, बछिया, और एक बैल, जो अपने जीवन प्रर्यंत मानव जाति का कार्य करता है . यही कारण है कि प्रत्येक और हर दुनिया में शिव मंदिर में हमेशा एक नंदी की प्रतिमा (मूर्ति) भगवान शिव की प्रतिमा (मूर्ति) के साथ मिल जाएगी