गौभक्त विचार

गोवर्धन पूजा का महत्व और विधि

गोवर्धन पूजा का महत्व और विधि

कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को ही गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूटए बलि पूजा और मार्गपाली जैसे नामों से भी जाना जाता है। गोवर्धन की पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से शुरू हुई। वैदिक वाटिका आपको बता रही है कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा और इस पूजा से कौन कौन सी समस्याएं दूर होती हैं आपकी।
गोवर्धन पूजा का महत्व और  विधि

गौ सेवा का अनन्त फल

गौ सेवा का अनन्त फल

जो पुरुष गौओ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है |  गौए उसे अत्यन्त दुलर्भ वर प्रदान करती है। गौओ के साथ मनसे भी द्रोह न करे उन्हें  सदा सुख पहुचाए उनका यथोचित सत्कार करे ओर नमस्कार आदि  के द्वारा उनकी पूजा  करे। जो मनुष्य  जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त  होकर नित्य गौओ की सेवा करता है वह समर्द्धि   का भागी होता है।

गौ भक्त के लिए कुछ भी दुलर्भ नही

गौ भक्त के लिए कुछ भी दुलर्भ नही

गौ भक्त मनुय जिस जिस वस्तु की इच्छा करता है वह सब उसे प्राप्त होती है! स्त्रियों  में भी जो गौओं की भक्त हैं वे मनोवांछित कामनाएं प्राप्त कर लेती हैं! पुत्रार्थी   मनुष्य पुत्र पाता है और कन्यार्थी कन्या! धन चाहने वाले को धन और धर्म चाहने वाले को धर्म प्राप्त होता है! विद्यार्थी विद्या पाता है और सुखार्थी सुख! गौ भक्त के लिए यहां कुछ भी दुलर्भ नही है!

गौ सेवा की महिमा विष्णुधमोर्तरपुराणमे

गौ सेवा की महिमा विष्णुधमोर्तरपुराणमे

विपत्ति  मे या कीचड मे फॅसी हुई या चोर तथा बाघ आदि के भय से व्याकुल गौ को क्लेश से मुक्त कर मनुष्य  अवमेधयज्ञ का फल प्राप्त करता है रुग्णावस्था मे गौओ को औषधि प्रदान करने से स्वंय मनुष्य  सभी रोगो से मुक्त हो जाता है गौओ को भय से मुक्त कर देनेपर मनुष्य  स्वय भी सभी भयो से मुक्त हो जाता हे चण्डाल के हाथ से गौको खरीद लेनेपर गोमेधयज्ञ का फल प्राप्त होता है तथा किसी अन्य के हाथ से गायको खरीदकर उसका पालन करन से गोपालक को गोमेधयज्ञका ही फल प्राप्त होता है। गौओ की शीत  तथा धूप से रक्षा करनेपर स्वर्ग की प्राप्ति  होती है। गौओ के उठने पर उठ जाय और बैठने पर बैठ जाय। गौओं के भोजन कर लेनेपर भोजन करे और

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