गौ - चिकित्सा

गौ - चिकित्सा भाग - 8 ( धनुर्वात )

गौ - चिकित्सा भाग - 8 ( धनुर्वात )

धनुवति , धनुर्वात ================= इस रोग में पशु बहुत अधिक सुस्त रहता है । कोई पशु लकड़ी की तरह अकड़ जाता है । और पाँव ज़मीन पर ठोंकता रहता हैं ।वह गर्दन घुमाता रहता है । इस रोग में पशु भड़कने जैसा मालूम होता है । उस की साँस तेज़ चलती हैं । साधारण : दस्त भी बन्द हो जाते हैं । बछड़ों को यह रोग होने पर वे दूध पीना बन्द कर देते हैं । पशु आधे - आधे घन्टे तक बेहोश रहते हैं । जिस ओर पशु पांँव ठोंकता हैं , उस ओर की चमड़ी के बाल भी निकल जाते हैं । १ - औषधि - चन्द्रशूर ( अलासिया ) ६० ग्राम , गरम पानी ५०० ग्राम , काला नमक १२ ग्राम , नमक और चन्द्रशूर को बारीक पीसकर , गरम पानी में उबालकर , काढ़ा बनाक

गौ - चिकित्सा भाग - 6 (रक्तप्रदर )

गौ - चिकित्सा भाग - 6 (रक्तप्रदर )

रक्तप्रदर ( ख़ून बहना ) ========================= मादा पशु के प्रसव के चारा दाने में गड़बड़ होने से यह रोग कभी - कभी हो जाता है । उसके प्रसव के समय असावधानी रखने के कारण यह रोग हो जाता है । रोगी मादा पशु की योनि से रक्त बहता रहता है । उसमें दुर्गन्ध आती रहती है । वह रोज़ दूध में और शारीरिक शक्ति में कमज़ोर होती है । १ - औषधि - गाय के दूध की दही ४८० ग्राम , गँवारपाठे का गूद्दा ४८० ग्राम , पानी ४८० ग्राम , सबको आपस में मिलाकर और मथकर रोगी पशु को दोनों समय उक्त मात्रा में , आराम होने तक पिलाया जाये ।

क्या कहते है वैज्ञानिक देशी गौमाता के बारे में ..

1.जर्सी नस्ल की गाय का दूध पीने से 30 प्रतिशत कैंसर बढने की संभावना हैं
- नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट आॅफ अमेरिका

2.गाय अपने सींग के माध्यम से काॅस्मिक पाॅवर ग्रहण करती हैं - रूडल स्टेनर,जर्मन वैज्ञाानिक

3.गोबर की खाद की जगह रासायनिक खाद का उपयोग करने के कारण महिलाओं का दूध दिन प्रतिदिन विषैला होता जा रहा हैं
- डाॅ. विजयलक्ष्मी सेन्टर फाॅर इण्डियन नोलिज सिस्टम

दूध न देती गाय भी है कमाई का साधन : स्वामी विश्वासानंद

नोएडा। सुप्रसिद्घ गौ-भक्त और सन्यासी स्वामी विश्वासानंद का कहना है कि दूध न देती गाय भी हमारे लिए कमाई का अच्छा साधन बन सकती है। यहां सुदर्शन न्यूज चैनल के सुदर्शन गो संसद की बैठक में ‘उगता भारत’ के मुख्य संपादक राकेश कुमार आर्य के साथ उन्होंने विशेष बातचीत में बताया कि हम गौमय-दंत मंजन बनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। स्वामीजी ने यूं तो कई चीजें बताईं लेकिन हम यहां आज अपने पाठकों के लिए गौ-दंत मंजन के विषय में ही बताते हैं।

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