गौ - चिकित्सा भाग - 7 ( कीडे )

पशुआो के शरीर में अन्य प्रकार के कीडे
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पेट में कीड़े पड़ना..
यह रोग छोटे बछड़ों को अक्सर होता है । सड़ा - गला , गंदा , चारा - दाना , मिट्टी आदि खाने से यह रोग हो जाता है । कभी - कभी कीड़ों वाला पानी पी जाने से भी पशु के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं । कभी - कभी अधिक दूध पी लेने पर उसके हज़म न होने पर भी बछड़ों के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं । और रोगी पशु भली प्रकार खाता - पीता तो रहता है । पर वह लगातार दूबला होता जाता है । छोटा बच्चा दूध और चारा खाना बन्द कर देता है । उसके गोबर में सफ़ेद रंग के कीड़े गिरते हैं । बच्चे को मटमैले रंग के दस्त होते हैं ।

१ - औषधि - ढाक ,पलाश ,के बीज ७ नग , नमक ३० ग्राम , पानी १२० ग्राम , सबको महीन पीसकर , छलनी से छानकर , पानी में मिलाकर ,रोगी बछड़ों को , दो समय तक , पिलाया जाय ।

२ - औषधि - नीम की पत्ती ३० ग्राम , नमक ३० ग्राम , पानी २४० ग्राम , पत्ती को पीसकर , उसका रस निकालकर , नमक मिलाकर , रोगी बच्चे को दो समय तक , पिलाया जाय । इससे अवश्य आराम होगा ।

आलोक -:- एनिमा देने पर गिडोले गोबर के साथ बाहर आ जायेंगे । यदि एनिमा न मिले तो मलद्वार में पिचकारी द्वारा पानी डालकर भी एनिमा का काम लिया जा सकता हैं।