गौ महिमा

गौदुग्ध – धरती का अमृत

गौदुग्ध – धरती का अमृत

गाय का दूध धरती का अमृत है. विश्व में गौ दुग्ध के सामान पौष्टिक आहार दूसरा कोई नहीं है. गाय के दूध को पूर्ण आहार माना गया है. यह रोग निवारक भी है. गाय के दूध का कोई विकल्प नहीं है. यह एक दिव्य पदार्थ है.

वैसे भी गाय के दूध का सेवन करना गौ माता की महान सेवा करना ही है. क्योकि इससे गोपालन को बढ़ावा मिलता है और अप्रत्यक्ष रूप से गाय की रक्षा ही होती है. गाय के दूध का सेवन कर गौमाता की रक्षा में योगदान तो सभी दे ही सकते है.

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भारतीय गौवंस और भयानक राजनीती

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गाय भारतीय संस्कृति से इस प्रकार जुड़ी हुई है कि भारतीय संस्कृति से उसे अलग नही किया जा सकता। यदि गौमाता को भारतीय संस्कृति से अलग करने का प्रयास किया गया तो इन दोनों में से एक ही हत्या हो जाना निश्चित है। संसार में प्रचलित ईसाइयत और इस्लाम की संस्कृतियों ने इस पशु को केवल एक पशु ही माना है। ऐसा पशु जो मानव के उपभोग के लिए बना है, और जिसे वह चाहे तो उसे मारकर भी खा ले।

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गाय को गोमाता के रूप में मानना अत्यन्त वैज्ञानिक है

मां के दूध के बाद सबसे पौष्टिक आहार देसी गाय का दूध ही है । इसमें जीव के लिये उपयोगी ऐसे संजीवन तत्व है कि इसका सेवन सभी विकारों को दूर रखता है । जिस प्रकार मां जीवन देती है उसी प्रकार गोमाता पूरे समाज का पोषण करने का सामर्थ्य रखती है । इसमें माता के समान ही संस्कार देने की भी क्षमता है । देशज वंशों की गाय स्नेह की प्रतिमूर्ति होती है । गाय जिस प्रकार अपने बछडे अर्थात वत्स को स्नेह देती है वह अनुपमेय है, इसलिये उस भाव को वात्सल्य कहा गया है । वत्स के प्रति जो भाव है वह वत्सलता है । मानव को स्वयं में परिपूर्ण होने के लिये आत्मीयता के इस संस्कार की बडी आवश्यकता है । परिवार, समाज, राष्ट्र व पू

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प्रवरं जीवनीयानां क्षीरमुक्त्तं रसायनम्

क्षीरमुक्त्तं

अर्थात -सुश्रुत ने भी गौदूग्ध को जीवनीय कहा है । गौदूग्ध जीवन के लिए उपयोगी ।ज्वरव्याधि- नाशक रसायन ,रोग और वृद्धावस्था को नष्ट करने वाला ,क्षतक्षीणरोगीयों के लिए लाभकारी,बुद्धिवर्धक ,बलवर्धक ,दुग्धवर्धक,तथा किचिंत दस्तावरहै ।और क्लम (थकावट) चक्कर आना मद, अलक्ष्मी को दूर करता है ।और दूग्ध आयु स्थिर रखता है,और उम्र को बढ़ाता है । 

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