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पहली रोटी गाय को खिलाएं, क्योंकि........

गाय हिंदु धर्म में पवित्र और पूजनीय मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार गौसेवा के पुण्य का प्रभाव कई जन्मों तक बना रहता है। इसीलिए गाय की सेवा करने की बात कही जाती है। पुराने समय से ही गौसेवा को धर्म के साथ ...ही जोड़ा गया है। गौसेवा भी धर्म का ही अंग है। गाय को हमारी माता बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय में हमारे सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इसी वजह से मात्र गाय की सेवा से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही गौमाता की भी पूजा की जाती है।

 गाय का दूध अपनाएं और बनाएं अपने शरीर को रोग मुक्त

विश्व भर में लोग गाय के दूध का इस्तेमाल बडे पैमाने पर करते हैं। गाय के दूध में तथा भैंस के दूध में काफी भिन्नता पाई जाती है। गाय के दूध की रचना भैंस के दूध से काफी अलग होती है। गाय के दूध में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) की मात्रा ज्यादा होती है तथा वसा और कैलोरी की मात्रा कम होती है जबकि भैंस के दूध में चाहे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो पर गाय के दूध की तुलना में कैलरी तथा वसा की मात्रा कहीं ज्यादा पाई जाती है।

नोटः नवजात शिशु के लिए माँ के दूध देने के बाद गाय के दूध को ही सर्वश्रेष्ठ पोषक आहार माना गया है।

5 काम जिन्हें करने से नहीं, सोचने पर भी लगता है पाप

श्रीमद्भागवत हिंदू धर्म के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इस ग्रंथ को श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् के नाम से भी जाना जाता है। इस पुराण का मुख्य विषय भक्ति योग है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मुखारविंद से ज्ञान और नीति के बहुत सारे उपदेश देते हुए कहा है की 5 ऐसी चीजें हैं, जिनको करने से तो घोर पाप लगता है लेकिन उसके विषय में सोचने या अपमान करने से भी पाप और दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं।

5 पाप करने से मिलती है नर्क में सबसे बड़ी सजा

श्लोक-

यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।

धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।

दिव्य गुणों की स्वामिनी गौ माता 

दिव्य गुणों की स्वामिनी गौ माता | गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोव‌र्द्धन और गोविंद की तरह पूज्य है। शास्त्रों में कहा गया है-मातर: सर्वभूतानांगाव:, यानी गाय समस्त प्राणियों की माता है। इसी कारण आर्य-संस्कृति में पनपे शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, जैन, बौद्ध, सिख आदि सभी धर्म-संप्रदायों में उपासना एवं कर्मकांड की पद्धतियों में भिन्नता होने पर भी वे सब गौ के प्रति आदर भाव रखते हैं। हम गाय को गोमाता कहकर संबोधित करते हैं।

गौपूजन से हो जाता है 33 करोड़ देवी-देवता का पूजन

सृष्टि में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। यदि एक दिन में एक देवता की पूजा भी करें, तो एक जीवनकाल में सभी देवी-देवताओं की पूजा करना असंभव है। धरा पर गौमाता ऐसा जीव है, जिसमें शास्त्रों के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। गौमाता के पूजन से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है।

ये विचार आरएसएस के कुक्षी जिला संघचालक दत्तेश शर्मा ने गौकुल धाम गौशाला में रविवार रात आयोजित गौरक्षा संगोष्ठी में व्यक्त किए। 

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