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उपखंड क्षेत्र के गोलासन गांव में स्थित देश की सबसे बड़ी नंदीशाला श्री हनुमान महावीर गोशाला के संचालन को लेकर मंगलवार को नया मोड़ आ गया। प्रशासन की ओर से नंदी गोशाला के संचालन के लिए मंगलवार को ग्रामीणों को चाबियां सौंपने का निर्णय हुआ था, लेकिन ऐनवक्त पर ग्रामीणों ने इसके संचालन में असमर्थता जताते हुए इनकार कर दिया। ऐसे में प्रशासन के सामने एक बार फिर से विकट स्थित आ गई है।

गौ , श्रद्धाभाव , मानवता

नई दिल्ली। गौमाता इस देश के लिए प्राचीन काल से ही पूजनीया रही है। उसके गुणों से प्रभावित होकर ही हमारे पूर्वजों ने गाय को यह सम्मानित स्थान दिया था। यही कारण है कि आज तक भी इस देश में गौमाता के प्रति सम्मान व्यक्त करने वाले, उसकी रक्षा को अपना जीवनव्रत घोषित करके चलने वालों की देश में कमी नही है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं-श्री रविकांतसिंह। जिन्होंने मध्य प्रदेश के जनपद मैहर में गौशाला का निर्माण कराया है।

गाय , मानव , धूमिल , बचाओ

किसी छोटे से छोटे कार्यक्रम का आयोजन भी बिना उसकी योजना के अपूर्ण ही रहता है। यदि कार्यक्रम की पूर्ण रूपरेखा बना ली गयी है और उसके एक-एक पहलू पर पूर्ण चिंतन-मनन कर लिया गया है तो फिर उसके संपन्न होने में किसी प्रकार की बाधा नही आ सकती। पूर्ण मनोयोग से किये गये कार्य को मिलने वाली असफलता भी कुछ शिक्षा देकर जाती है और उससे व्यक्ति निराश न होकर द्विगुणित ऊर्जा से भरकर पुन: प्रयास करता है और एक दिन सफल हो जाता है। किसी कवि ने कितना सुंदर कहा है :-

गाय,गौमाता,असुरक्षित

भारत में गाय माता होकर भी असुरक्षित क्यों है? जब इस प्रश्न पर विचार किया जाता है तो पता चलता है कि इसके एक नही अनेक कारण हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण है कि भारत ने दूसरों को सम्मान देते-देते अपने सांस्कृतिक मूल्यों को या तो भुला दिया या फिर दूसरों को प्रसन्न करने के लिए उन पर अधिक बल नही दिया। इसे कुछ स्वार्थी विदेशी लेखकों ने या विद्वानों ने भारत की परंपरागत सहिष्णुता या उदारता के रूप में महिमामंडित किया और इस महिमामंडन के माध्यम से वे अपना स्वार्थ सिद्घ कर गये। हम भारतीय अपने स्वभाव से सहिष्णु या उदार हैं, इसमें दो मत नही हैं-परंतु हमें कितना सहिष्णु या उदार होना चाहिए?

ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं। इन योजनाओं पर अनुदान का भी प्रावधान रखा गया है। किसान व आम ग्रामीण अनुदान प्राप्त कर आजीविका के साधनों को बेहतर बना सकते हैं।

दुग्ध उत्पादन (डेयरी)

 इस संबंध में पशु सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाती है, और यह योजनायें राज्य पशुपालन विभाग, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, डेयरी को-आपेरेटिव सोसाइटी तथा डेयरी फार्मस के फेडेरेशन को स्थानीय स्तर पर नियुक्त तकनीकी व्यक्ति की सहायता से तैयार की जाती है।

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