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हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती। हर नदी के जल की अपनी जैविक संरचना होती है, जिसमें वह ख़ास तरह के घुले हुए पदार्थ रहते हैं जो कुछ क़िस्म के जीवाणु को पनपने देते हैं और कुछ को नहीं। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गंगा के पानी में ऐसे जीवाणु हैं जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते, इसलिए पानी लंबे समय तक ख़राब नहीं होता।

गौमाता में हैं

गाय, गोपाल, गीता, गायत्री तथा गंगा धर्मप्राण भारत के प्राण हैं, आधा हैं। इनमें मैं गौमाता को सर्वोपरि महत्व है। पूजनीय गौमाता हमारी ऐसी माँ है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ। गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता।

गाय का दूध शिफा है

गाय के प्रति मुहम्मद साहब की पत्नी आयशा ने कहा कि फरमाया रसूल अल्लाह ने गाय का दूध शिफा है और घी दवा तथा उसका मांस रोग  है। अर्थात मांस खाना रोगों को बुलाना है, इसलिए बात साफ है कि गोवध वहां भी निषिद्घ है। इसी बात को मुल्ला मोहम्मद बाकर हुसैनी का कहना है कि गाय को मारने वाला, फलदार दरख्त को काटने वाला और शराब पीने वाला कभी नही बख्शा जाएगा।

गौमाता की सेवा भगवत्प्राप्ति

गावो विश्वस्य मातरः !!......

भुक्त्वा तृणानि शुष्कानि पीत्वा तोयं जलाशयात् ।
दुग्धं ददति लोकेभ्यो गावो विश्वस्य मातरः॥

वेदों में कहा गया हैः गावो विश्वस्य मातरः। अर्थात् गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है। महाभारत में भी आता हैः मातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुखप्रदाः।

'गौएँ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं। वे सभी को सुख देने वाली हैं।' (महा.अनु.69.7)

गौएँ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं

गौएँ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं।

वे सभी को सुख देने वाली हैं।' (महा.अनु.69.7)

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