गाय का घी और चावल की आहुती

गाय का घी और चावल की आहुती

गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,प्रोपिलीन
ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक
प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक
औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का
आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में
गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि औ
र पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट
जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।

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अबला गैया हाय तुम्हारी है यह दुखद कहानी,

अबला गैया हाय तुम्हारी है यह दुखद कहानी,

अबला गैया हाय
तुम्हारी है यह दुखद कहानी,
माँ कह कर भी कुछ लोगों, ने कदर न
तेरी जानी..
कोई तुझको डंडा मारे,कोई बस दुत्कारे,
भूखी-प्यासी भटक रही है, तू तो द्वारे-द्वारे.
देख दुर्दशा तेरी मैया, बहे नैन से पानी.
अबला गैया हाय
तुम्हारी है यह दुखद कहानी.
पीकर तेरा दूध यहाँ पर, जिसने ताकत पाई,
वही एक दिन पैसे खातिर, निकला निपट
कसाई.
स्वारथ में अंधी दुनिया ने, बात कहाँ-कब
मानी.
अबला गैया हाय
तुम्हारी, है यह दुखद कहानी.
गो-सेवा का अर्थ यहाँ अब, केवल रूपया-पैसा,

अत्यंत गुणकारी सिद्ध होती है।

अत्यंत गुणकारी सिद्ध होती है।

गाय ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जिसका मल-मूत्र न केवल गुणकारी, बल्कि पवित्र भी माना गया हैं।

गोबर में लक्ष्मी का वास होने से इसे 'गोवर' अर्थात गौ का वरदान कहा जाना ज़्यादा उचित होगा।

गोबर से लीपे जाने पर ही भूमि यज्ञ के लिए उपयुक्त होती है।

गोबर से बने उपलों का यज्ञशाला और रसोई घर, दोनों जगह प्रयोग होता है।

गोबर के उपलों से बनी राख खेती के लिए अत्यंत गुणकारी सिद्ध होती है।

गोबर की खाद से फ़सल अच्छी होती है और सब्जी, फल, अनाज के प्राकृतिक तत्वों का संरक्षण भी होता है।

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