आस्था की दृष्टि से देखा जाना चाहिए गाय को : पूज्य श्री गोपाल मणिजी
देश के 375 जिल्लो में गौमाता का प्रचार करते हुए बस्तर पहुचे गौक्रांति अग्रदूत गोपाल मणिजी जी ने रविवार को चेंबर सभागार में धेनु मानस गोकथा कही । उन्होंने गाय को हिन्दुओ की आस्था का प्रतीक बताते हुए कहा कि सरकार गाय को माता नही मानती। वह आंदोलन की भाषा समझती है और हमे लोगो में जनजागरण करना है । गाय को आस्था की दृष्टि से देखा जाना चाहिए । गाय को बचाने के लिए देश में अलग से गौ मंत्रालय हो । और विधालयो में 10 साल तक के बच्चो को गाय का दूध देना अनिवार्य किया जाए । आखिल भारतीय गौ रक्षा द्वारा आयोजित गौ प्रतिष्ठा भारत यात्रा के तहत पूज्य गोपाल मणिजी का बस्तर 376 वा पड़ाव है । धेनुमानस गौ कथा के संदर्भ में उन्होंने कहा 337 गौ संरक्षण केंद्र है फिर भी गाय पर अत्याचार जारी है । सरकार गाय को पशु मानती है एक समय था जब देश में गाय को तिलक करने के बाद चुनाव प्रचार होता था , लेकिन आज भी गाय कट रही है । कथा सुनकर साढ़े चार लाख लोग गौ पालन करने लग गए है। फिर भी गाय सड़को पर भटक रही है उन्होंने कहा कि गाय हिन्दुओ की आस्था का प्रतीक है व्यक्ति को वैतरणी पार कराने से लेकर महादेव का दुधाभिषेक करने के लिए भी गाय के दूध की ही जरुरत पड़ती है व्यक्ति के जन्म से मूर्त्यु तक के 16 संस्कारों में गाय का महत्व है । इसलिए गाय को राष्ट्रमाता का सम्मान दिया जाना चाहिए । हमारी मांग है कि देश में गौ मंत्रालय अलग हो । देश में यूरिया पर प्रतिबंध लगे और गोबर खाद का उपयोग बढ़े एवं गाय के हत्यारे को प्राणदण्ड मिले । उन्होंने अपनी मांगों के संदर्भ यह स्प्ष्ट किया की 10 वर्ष की उम्र तक बच्चो को जो संस्कार मिलता है वह अमिट होता है यूरिया एवं जर्सी गाय के कारण कैंसर का प्रकोप बढ़ा है । इसलिए देशी भारतीय नस्ल की गाय के दूध का महत्व समझना चाहिए । कार्यक्रम के अंत में बताया कि गौ प्रतिष्ठा भारत यात्रा की शुरुआत गंगोत्री से हुयी है और इसका समापन 18 फरवरी 2018 को दिल्ली में विशाल जन आंदोलन के साथ होगा ।