गौ - चिकित्सा भाग - 8 ( धनुर्वात )
धनुवति , धनुर्वात ================= इस रोग में पशु बहुत अधिक सुस्त रहता है । कोई पशु लकड़ी की तरह अकड़ जाता है । और पाँव ज़मीन पर ठोंकता रहता हैं ।वह गर्दन घुमाता रहता है । इस रोग में पशु भड़कने जैसा मालूम होता है । उस की साँस तेज़ चलती हैं । साधारण : दस्त भी बन्द हो जाते हैं । बछड़ों को यह रोग होने पर वे दूध पीना बन्द कर देते हैं । पशु आधे - आधे घन्टे तक बेहोश रहते हैं । जिस ओर पशु पांँव ठोंकता हैं , उस ओर की चमड़ी के बाल भी निकल जाते हैं । १ - औषधि - चन्द्रशूर ( अलासिया ) ६० ग्राम , गरम पानी ५०० ग्राम , काला नमक १२ ग्राम , नमक और चन्द्रशूर को बारीक पीसकर , गरम पानी में उबालकर , काढ़ा बनाक