गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है
गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह पूज्य है।
गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह पूज्य है।
गोवरधन धारी की दुलारी गौ माँ
साधू संतो मुनिओ की पियरी गौ माँ
मानव पर सदा उपकारी गौ माँ
कदम कदम सुखकारी हे गौ माँ
फिर भी दुखी हमारी गौ माँ
संकट में आज हमारी गौ माँ
कातर निगाहे हमें देख रही हे
फेली हुई बाहे हमें देख रही हे
चीखे और आहे हमें हमें देख रही हे
कतल घर की राहे हमें देख रही हे
हम चारा और पानी का प्रबंध करेंगे
गौ हत्या हम हर हाल में बंद करेंगे
हमें ही बचानी हे हमारी गो माँ
संकट में आज हमारी गो माँ'
कतल खाने में उसे लाया जाता हे
तीन चार दिन उसे भूखा रखा जाता हे
गौ माता गौ माता की अद्भुत महिमा
गौ माता
गौ माता की अद्भुत महिमा
महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है .
१. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारण नहीं समझना चाहिये गौ के शरीर में "३३ करोड़ देवी देवताओ" का वास होता है. गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है.
२. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन-मन-धन से गौ की सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है.
सृष्टि में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। यदि एक दिन में एक देवता की पूजा भी करें, तो एक जीवनकाल में सभी देवी-देवताओं की पूजा करना असंभव है। धरा पर गौमाता ऐसा जीव है, जिसमें शास्त्रों के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। गौमाता के पूजन से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है।
ये विचार आरएसएस के कुक्षी जिला संघचालक दत्तेश शर्मा ने गौकुल धाम गौशाला में रविवार रात आयोजित गौरक्षा संगोष्ठी में व्यक्त किए।
Designed and developed by FIZIKA MIND
Get website for You Contact
Copyright © 2024, Gauparivar
Designed and developed by Swami Sir