गौभक्त विचार

बचालो रे बचालो गाय माता को बचालो

बचालो रे बचालो गाय माता को बचालो

जय गौ माता जय गोपाल
जय श्री राधे राधे.......
जरूर पढे और शेयर करे 
बचालो रे बचालो गाय माता को बचालो 
यही जीवन का प्राण है, यही जीवन का आधार है,
ये नही है कोई जानवर, यह गलत फहमी मिटा के, बचालो रे बचालो गाय माता को बचालो 
गाय माता जब बचेगी, तभी हम भी बचेगे 
गौ की सेवा जब होगी, तभी हम भी सुख शांति से रहेगे
हो......मेरे प्यारे....गौ वत्स बनके गाय माता को बचालो ह
बचालो रे बचालो गाय माता बचालो 
जय गौ माता जय गोपाल

'गाय' शब्द का अर्थ

'गाय' शब्द का अर्थ 
वेदों और शब्द "गो ", जो अंग्रेजी शब्द स्मृती' में एक व्यापक अर्थ है. 'गाय' के लिए कहा गया है, इसमें केवल गाय, बैल और बछडे बल्कि दूध, गौमूत्र और गोबर भी शामिल है.हमारे लिए, 'गाय' मूल रूप से हमारे स्वदेशी नस्लों की गाय, जिसमे कुछ निहित दिव्य और प्रमाणित गुण है, 50 से अधिक स्वदेशी नस्लों, जिनमें से कुछ के नाम नीचे का उल्लेख कर रहे हैं 

गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है।

गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह पूज्य है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी महोत्सव मनाया जाता है।
मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान
श्रीकृष्ण ने गोवर्धनपर्वत धारण किया था। आठवें दिन इंद्र अहंकाररहित श्रीकृष्ण की शरण में आए तथा क्षमायाचना की। तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है।
ऐसे मनाएं महोत्सव

यदि हम गौओं की रक्षा करेंगे तो गायें भी हमारी रक्षा करेंगी।

यदि हम गौओं की रक्षा करेंगे तो गायें भी हमारी रक्षा करेंगी। 
गांव की आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक घर में तथा घरां के प्रत्येक समूह में एक गो शाला होनी चाहिए। 
दूध गरीब-अमीर सबको मिलना चाहिए। 
गृहस्थों को पर्याप्त गोचरभूमि मिलनी चाहिए। 
गौओं को बिक्री के लिए मैलों में भेजना बिल्कुल बंद कररना चाहिए, क्योंकि इससे कसाइयों को गाय खरीदने में सुविधा होती है
किसानों की स्थिती सुधार के लिए दिये जाने वाले इन सुझावों तथा अन्य सुझावों को कार्यरूप में परिणित करने
के लिए ग्राम पंचायतोंका निर्माण होना चाहिए। -

Pages