गौ रक्षा हमारा परम धर्म
कुछ दिनों पहले की घटना है, हमेशा की तरह सुबह जागते ही मैं थोड़ी देर बालकोनी में बैठकर प्राकृतिक दृश्य हरे-भरे पेड़-पौधों को निहार रही थी, तभी पड़ोस की चाची जी को देखा कि वो एक गाय जो उनके घर के सामने लगाये गए सब्जियों और फूल-पौधों के बाग़ में घुसकर पौधों को खा गई थी उसे भगा रहीं थी| जब ध्यान दिया तो पता चला कि वो गाय को गन्दी गालियाँ दे-देकर कोस रहीं थीं, फिर वो गाय को भगाने के लिए उसे डंडे से मारे लगीं| मैं जल्दी से उनके पास गई और डंडा उनके हाथ से ले लिया कहा- “चाची जी मत मारिये गाय को मारना पाप होता है और गाली देना तो अपनी माँ को गाली देने जैसा है|” अब वो मुझ पर ही बिफर पड़ीं- “तुम उपदेश मत दो मुझे, अगर तुम्हारा नुकसान होता तो तुम भी यही करती|” मैं अपने किचन में गई और रोटियां ले आई, जैसे ही गाय ने मेरे हाथ में रोटियां देखी उसे लपक कर खाने लगी, मैंने प्यार से उसे सहलाया और रोटियां खाने के बाद वो चली गई| मैं वापस आकर घर के कामों में लग गई पर गाय को गाली और मारना ये बात मुझे साल रही थी और मैं सोंच में पड़ गई कि अगर ६५ वर्ष की महिला का वर्ताव गौ माता के प्रति ऐसा है तो उनके बच्चों और आने वाली पीढ़ी का वर्ताव कैसा होगा? जो महिला प्रतिदिन मंदिर में जाकर पूजा करती हैं क्या उनके लिए पूजा सिर्फ पत्थरों को पूजना ही है? जिस गोपाल की पूजा वो मंदिरों और घर में करती हैं उनके गाय को गाली कैसे दे दी, ऐसी पूजा तो एक ढोंग से ज्यादा कुछ नहीं| भागवत में आचार्य जी से सुना था कि ‘माँ’ शब्द हमारी गौ माता की ही देन है, सबसे पहले बछड़े ने ‘माँ’ शब्द बोला था| संसार का सबसे सुन्दर शब्द ‘माँ’, हमारी जन्मदात्री माँ जो साल दो साल हमें दूध पिलाती है और जीवन भर हम उनका कर्ज नहीं चुका पाते तो गौ माता का दूध तो हम जीवन भर पीते हैं इसलिए उनका कर्ज जीवन के पार भी चुका पाना संभव नहीं| गौ माता की जितनी सेवा करें, पूजा करें कम ही होगी| ईश्वर का साक्षात स्वरूप गौ माता हैं| वेद-पुराणों में कहा गया है कि- “सर्व देवा: स्थिता देहे, सर्वदेवमयी हि गौ:|” केवल एक गौ माता की पूजा और सेवा करने से सभी ३३ कोटि देवी-देवताओं की पूजा संपन्न हो जाती है| गौ सेवा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्त करने का सुलभ, सरल, वैज्ञानिक और सर्वश्रेष्ठ साधन है| गौ, गंगा, गायत्री, गीता ये चारों भारतीय संस्कृति के स्तम्भ हैं,
जिन पर संस्कृति टिकी है| वेद, शास्त्र, पुराण, महाभारत, गीता इत्यादि ग्रंथों के अध्ययन, चिंतन, मनन से यह सिद्ध हो चुका है कि-
१. गौ माता हमारी सर्वोपरि श्रद्धा का केंद्र हैं| २. भारतीय संस्कृति की आधारशिला है| ३. गौ माता सर्वदेवमयी हैं| भक्ति, मुक्ति और शक्ति का स्रोत गौ सेवा है| “लक्ष्मीश्च गोमये नित्यं पवित्रा सर्व मंगला|” गाय के गोबर और गौमूत्र में पवित्र सर्व मंगलमयी श्री लक्ष्मी जी का निवास है, जिसका अर्थ यह है कि गोबर और गौमूत्र में सारी धन-सम्पदा समायी हुई है| लोकल्याण के लिए किया गया प्रत्येक कर्म यज्ञ स्वरूप ही है| कम ग्रहण करना और अधिक देना, इस आचरण को सिखाने वाली हमारी लोककल्याणकारी गौ माता ही हैं| गाय घास, भूसा, छिलका, खली, चुन्नी तथा चोकर आदि ऐसी सामान्य खाद्य सामग्री ग्रहण करती है जो मनुष्य के ग्रहण करने योग्य नहीं है और कम मूल्यवान होती है, किन्तु बदले में अमृत तुल्य दूध, अत्यंत उपयोगी और औषधिरूप गोमय तथा गौमूत्र देती है| गुजरात जूनागढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा लेबोरेटरी में ७ साल के प्रयोगों के बाद आज यह सिद्ध हो गया है कि गौदुग्ध और गौमूत्र में सोना पाया जाता है| दो-तीन गायें एक परिवार की परवरिश कर सकती है| इनसे प्राप्त गोबर, गौमूत्र, एवं गौदुग्ध का समुचित उपयोग करने पर इतनी आय हो सकती है कि एक परिवार की परवरिश हो सके| पंचगव्य से १०८ रोगों का सफल इलाज होता है| गौमूत्र से बनी दवाओं से हजारों रूपये प्रति माह आय हो सकती है| एक दूध न देने वाली गाय या बैल भी उपयोगी है , वो जितना चारा ग्रहण करते हैं उससे ५ गुना मूल्य का खाद बनाने लायक गोबर उनसे प्राप्त हो जाता है| श्री नारायण देव राव पांडरी पाण्डे का २५ वर्ष का श्रम बड़ा ही उपयोगी साबित हुआ है| उन्होंने नेडेप विधि खोजकर महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, इस विधि से केवल एक किलो गोबर से तीस किलो सर्वोत्तम श्रेणी की खाद बनती है| इसके प्रयोग से विदेशी मुद्रा की बचत होगी तथा धरती बंजर होने से बचेगी| ये अटल सत्य है कि “गावः सर्वसुखप्रदा:” अर्थात गाय सब सुखों को देने वाली है| भारत की समस्याएं गरीबी, बेरोजगारी और बीमारी है जो दिन-ब-दिन बढती जा रही हैं| गौ रक्षा एवं गौ-संवर्द्धन आज देश की धार्मिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक, सामजिक, आर्थिक, प्राकृतिक, नैतिक, व्यवहारिक, लौकिक एवं पारलौकिक अनिवार्य आवश्यकता है| गौ, गीता, गायत्री और गंगा ये चार सनातन देव संस्कृति के स्तम्भ हैं और आज इनकी स्थिति दयनीय हो गई है| गंगा प्रदूषित हो रही है, गायत्री के दर्शन को व्यवहार में नहीं लाया जा रहा, गीता के उपदेश को जीवन में उतारा नहीं जा रहा और सब सुखों को देने वाली हमारी गौ माता का वध किया जा रहा है| सभी दुखों का यही कारण है, जबकि गौ रक्षा से बढ़कर कोई धर्म नहीं| गौ पालन, गौ सेवा मानवीय सद्गुणों के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है| गायों के पालनहारा श्री कृष्ण का गौ प्रेम हम सभी जानते हैं, गौ दुग्ध का पान कर उन्होंने दिव्य गीतामृत का सन्देश दिया- “दुग्धं गीतामृतं महत|” रघुवंश जिसमे श्री राम का जन्म हुआ था, गाय की सेवा से ही चला था| मेरी नानी जी ने बताया था कि गौ ही मनुष्य के स्वर्ग जाने का माध्यम है, इसलिए मनुष्य के अंतिम संस्कार के क्रिया-कर्म में पंचदान की परम्परा है जिसमे से एक दान गौ दान है| सिर्फ हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्मों में गौ की महत्ता और गौ रक्षा की बात कही गई है| कुरान शरीफ के अनुसार- अकर्मुल बकर फाइनाहा सैयदूल बहाइसाँ अर्थात- गाय की इज्जत करो क्योंकि वह चौपायों का सरदार है| गाय का दूध, घी और मक्खन [शिफा] अमृत है| गोस्त बीमारियों का कारण है| [कुरान शरीफ़ पारा १४ रुकवा ७-१५] ईसाई धर्म के अनुसार- ईसा मसीह ने कहा है- ‘तू किसी को मत मार| तू मेरे समीप पवित्र मनुष्य बनकर रह| एक बैल या गाय को मारना एक मनुष्य के क़त्ल के समान है|’ ईसाई हयाद ६६-३ सिक्ख धर्म के अनुसार- यही देव आज्ञा तुर्क, गाहे खपाऊँ| गउ घात का दोष जग सिउ मिटाऊँ|| आर्य समाज के अनुसार- महर्षि दयानद सरस्वती ने कहा है कि- ‘गाय की हत्या करके एक समय में २० व्यक्तियों को भोजन कराया जा सकता है| जबकि वही गाय अपने पूरे जीवन काल में २०,००० लोगों को अमृत तुल्य दूध से तृप्ति प्रदान कर सकती है|’ बौद्ध धर्म के अनुसार- जैसे माता-पिता, भाई कुटुंब के परिवार के लोग हैं, वैसे ही गायें भी हमारी परम मित्र हैं, परम हितकारिणी हैं, जिसके गव्य से दवा बनती है| महात्मा गाँधी जी ने भी कहा था- ‘भारत की सुख-समृद्धि गौ के साथ जुड़ी हुई है|’ महामना मालवीय जी के मतानुसार- ‘गौ वंश की रक्षा में देश की रक्षा समायी हुई है|’ योगी आदित्यनाथ के मतानुसार- ‘गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा मिलना चाहिए|’ सरकार ने गौ रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं, गौ रक्षा के लिए महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में पूरी तरह से गौ वंश हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने में सफलता प्राप्त की| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कहना है कि- ‘जो लोग गौ हत्या करते हैं उन्हें वैसी ही सजा मिलनी चाहिए जैसी हत्या के अपराधी को|’ गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-बांग्लादेश की सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षाबल [BSF] से कहा कि वे बांग्लादेश को मवेशियों की तस्करी पर पूरी तरह से रोक लगायें| अतः किसी भी धर्म के व्यक्ति हों, हम सबका कर्त्तव्य है कि तन, मन, धन लगाकर गौ हत्या पूर्ण रूप से बंद कराएं| जरुरत है सरकार और सामजिक संगठनों को मिलकर गौ रक्षा के लिए योजनाओ को कार्यान्वित करने की| निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान देना अति आवश्यक है- १ गौ हत्या पूर्ण रूप से बंद किया जाए| २ गौ हत्या, गौ मांस खाने वाले तथा पशुओं की तस्करी करने वाले देशद्रोही हैं, इन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा मिले| ३ किसी मनुष्य की हत्या से बड़ा अपराध गौ हत्या है, हत्यारे के लिए जिस सजा का प्रावधान है गौ हत्यारे को भी वही सजा मिले| ४ पूरे देश में ज्यादा-से-ज्यादा गौशालाओं की व्यवस्था की जाए जिससे लावारिश गायों की देखभाल की जा सके, सरकार गौशालाओं से युवाओं को जोड़ने के लिए उचित वेतन की व्यवस्था करे| ५ गौ संवर्धन साहित्य का प्रचार-प्रसार किया जाये , सभी स्कूलों में इस विषय को नैतिक शिक्षा से जोड़ा जाये जिससे वर्तमान पीढ़ी तथा आने वाली पीढ़ी में गायों के प्रति प्रेम तथा सम्मान की भावना जागृत किया जा सके| ६ एक कार्य जो हम सभी के वश में है, सभी कर सकते हैं वो ये कि पोलीथिन का प्रयोग ना करें| खास तौर पर पोलीथिन में खाद्य सामग्री रखकर इधर-उधर ना फेंके जिसे खाकर लाखों गायों की मृत्यु हो जाती है| ७ गौ माता के शरीर से सात्विक किरण विसरित होती है क्योंकि गाय स्वभाव से सात्विक, सौम्य, एवं संतोष करने वाली होती है| गाय के प्रभाव क्षेत्र में रहने से मनुष्य की चित्तवृति शांत होती है अतः गौ संवर्द्धन करें| ८ हरियाणा में गायों की पहचान के लिए आधार कार्ड बनाने का कदम उठाया गया है, पूरे देश के गायों के लिए आधार कार्ड बने ताकि उनकी सुरक्षा हो सके| ९ गायों की रक्षा के लिए कार्य करने वाले सामजिक सगठनों को सरकार अनुदान दे और जनता भी अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दे| गौ माता हमारी परम मित्र हैं हम सभी संकल्प करें उनकी रक्षा का, उनसे मित्रवत वर्ताव करें| गौ से प्रेम ही देश प्रेम है, अपनी संस्कृति और संस्कारों से प्रेम है| गौ रक्षा हमारा परम धर्म है| गौ रक्षा ही देश रक्षा है, गौ माता का सम्मान करना भारत माता का सम्मान है , साभार - सुधा जयसवाल