जब कैंसर हो जाएगा, तभी गाय माता की याद आएगी ?
पुराणों के अनुसार गौएं साक्षात विष्णु रूप है, गौएं सर्व वेदमयी और वेद गौमय है। भगवान श्रीकृष्ण को कृष्ण अवतार में सारा ज्ञानकोष गो चारण से ही प्राप्त हुआ था।
गुजरात के बलसाड़ नामक स्थान के निकट cancer (कैंसर) अस्पताल में 3 हजार से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज पंचगव्य से हो चुका है ! अकेले एक मात्र गाय माता इन्सान की लगभग हर जरूरत और हर समस्या की समाधान हैं !
जिस देश में अन्न इफरात पैदा हो वो देश कभी गरीब हो ही नहीं सकता और अन्न की पैदावार बढ़ाने के लिए जिस सर्वोत्तम खाद और कीटनाशक की जरूरत होती है वो देशी गाय माता के गोमूत्र और गोबर से ही तो बनता है ! और रही बात बिमारी को तो जटिल से जटिल बीमारी (चाहे कैंसर हो या एड्स) में आश्चर्य जनक फायदा है गोमूत्र और गो दुग्ध ! इसके अलावा देशी गाय माता के शरीर से और गोबर व गोघृत के हवन से निकलने वाली बेहद पॉजिटिव किरणों से कितने मानसिक उन्माद और अवसाद का इलाज कर आतंकवाद जैसे खतरनाक समस्याओं को समाप्त किया जा सकता है !
कैंसर के मरीजों को भारतीय देशी गाय माता का मूत्र रोज सुबह पीना बहुत ही फायदेमंद होता है ! गाय माता कुंवारी (बछिया) हो तो उनका मूत्र और ज्यादा फायदा करता है कैंसर में !
हिन्दू धर्म में गाय माता का महत्व इसलिए नहीं रहा कि प्राचीन काल में भारत एक कृषि प्रधान देश था और आज भी है और गाय माता को अर्थव्यस्था की रीढ़ माना जाता था। भारत जैसे और भी देश है, जो कृषि प्रधान रहे हैं लेकिन वहां गाय माता को इतना महत्व नहीं मिला जितना भारत में। दरअसल हिन्दू धर्म में गाय माता के महत्व के बहुत से वैज्ञानिक, आध्यात्मिक, धार्मिक और चिकित्सीय कारण भी रहे हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में –
– स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते थे कि एक गाय माता अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों के लिए एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उनके मांस से मात्र 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं। गाय माता एकमात्र ऐसी जीव है जिनके शरीर का सब कुछ अति उच्च उपयोग के काम में आता है।
– गाय माता का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि सभी बहुत ही फायदेमन्द है।
– पूरी संसद द्वारा गोहत्या बंदी करने का समर्थन करने के बावजूद भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि यदि यह प्रस्ताव पास हुआ, तो मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।
– जानकारी के अनुसार मुस्लिम शासन के समय गौवध अपवाद स्वरूप ही होता था। अधिकांश शासकों ने अपने शासन को मजबूत बनाने और हिन्दुओं में लोकप्रिय होने के लिए गौवध पर प्रतिबंध लगाए थे।
– अंग्रेजों ने भारत में गौवध को बढ़ावा दिया। अपने इस कुकर्म पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने मुस्लिम कसाइयों की नियुक्ति बूचड़खानों में की थी।
– भगवान श्रीकृष्ण ने गाय माता के महत्व को बढ़ाने के लिए गाय पूजा और गौशालाओं के निर्माण की नए सिरे से नींव रखी थी। भगवान कृष्ण ने गाएं चराने का कार्य गोपाष्टमी से प्रारंभ किया था।
– पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में गौहत्या पर मृत्युदंड का कानून बनाया था।
– रामचंद्र ‘बीर’ ने 70 दिनों तक गौहत्या पर रोक लगवाने के लिए अनशन किया था।
– वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय माता में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं।
– गाय माता की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। यह पर्यावरण के लिए अति लाभदायक व्यवस्था है।
– गाय माता की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है।
– सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय माता के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। स्वर्ण भस्म एक अति उत्तम कोटि की आयुर्वेदिक दवा होती है ।
– देशी गाय माता के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़, खेती के लिए अति लाभ दायक जीवाणु होते हैं।
– रूस में गाय माता के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं। एक तोला (10 ग्राम) गाय माता के घी से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।
– विश्व की सबसे बड़ी गौशाला पथमेड़ा, राजस्थान में है।
– गौवंशीय पशु अधिनियम 1995 के अंतर्गत गो हत्या पर 10 वर्ष तक का कारावास और 10,000 रुपए तक का जुर्माना है।
– एक समय वह भी था, जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था। इसका एक मात्र कारण केवल गाय माता का भरपूर उपयोग था । भारतीय गाय माता के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन थे। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था। किंतु हरित क्रांति के नाम पर सन् 1960 से 1985 तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को लगभग नष्ट कर दिया गया। अब खेत उस स्तर के उपजाऊ नहीं रहे। अब खेतों में रासायनिक कीटनाशक के उपयोग से कैंसर जैसी बीमारिया तेजी से फ़ैल रही है।
– हरित क्रांति से पहले खेतों को गाय के गोबर में गौमूत्र, नीम, धतूरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा हर प्रकार के कीड़ों से सफलता पूर्वक बचाया जाता था।
– पंचगव्य का निर्माण देशी गाय माता के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है। और यह पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है।
– पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है।
– पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से पेटेंट, भारत ने प्राप्त किए हैं। 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों पर प्राप्त किए जा चुके हैं।
– हिन्दू धर्म के अनुसार गाय माता में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। कोटि का अर्थ करोड़ नहीं, प्रकार होता है। इसका मतलब गाय माता में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं।
– कत्लखाने जा रही गाय माता को छुड़ाकर उसके पालन पोषण की व्यवस्था करने पर मनुष्य को गौयज्ञ का फल मिलता है।
– भगवान शिव के प्रिय पत्र ‘बिल्वपत्र’की उत्पत्ति गाय माता के गोबर में से ही हुई थी।
– ऋग्वेद ने गाय माता को अघन्या कहा है। यजुर्वेद कहता है कि गौ अनुपमेय है। अथर्ववेद में गाय माता को संपतियों का घर कहा गया है।
– इस देश में लोगों की भाषाएँ खाने पीने के तरीके अलग अलग हैं पर पृथ्वी माँ की तरह ही सीधी साधी गाय माता भी बिना विरोध के हर मनुष्य को बिना भेद भाव सब देती है।
– भगवान राम के पूर्वज महाराजा श्री दिलीप नन्दिनी गाय माता की पूजा करते थे।
– भगवान भोलेनाथ के वाहन नन्दी दक्षिण भारत की आंगोल नस्ल के बैल हैं । जैन आदि तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का चिह्न बैल हैं ।
– गरुड़ पुराण अनुसार मृत्यु के तुरन्त बाद वैतरणी नदी को आराम से पार करने के लिए गोदान का बहुत महत्व बताया गया है।
– श्राद्ध कर्म में भी गाय माता के दूध की खीर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसी खीर से पितरों की ज्यादा से ज्यादा तृप्ति होती है।
– स्कंद पुराण के अनुसार ‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय हैं।’
– भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवद्भीता में कहा है- ‘धेनुनामस्मि कामधेनु’ अर्थात मैं गाय माताओं में कामधेनु हूं।
– ईसा मसीह ने कहा था- एक गाय बैल को मारना एक मनुष्य को मारने के समान है।
– श्रीराम ने वन गमन से पूर्व त्रिजट नामक ब्राह्मण को गाय माता दान की थी।
– गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा, ‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटाऊं।’
– बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था कि ‘चाहे मुझे मार डालो, पर गाय माता पर हाथ न उठाओ’।
– प्रसिद्ध मुस्लिम संत रसखान जी की इच्छा थी कि यदि पशु के रूप में मेरा जन्म हो तो मैं बाबा नंद की गाय माताओं के बीच में जन्म लूं।इन्होने कहा था – ‘जो पशु हों तो कहा बसु मेरो, चरों नित नंद की धेनु मंझारन।’
– पं. मदनमोहन मालवीय जी की अंतिम इच्छा थी कि भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने।
– पंडित मदनमोहन मालवीय जी का कथन था कि यदि हम गाय माता की रक्षा करेंगे तो गाएं हमारी रक्षा करेंगी।
– महर्षि अरविंद जी ने कहा था कि गौ, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है। इनका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है।
– भगवान बुद्ध को गाय माता के पास उस क्षेत्र के सरदार की बेटी सुजाता द्वारा गाय माताओं के दूध की खीर खानें पर तुरन्त ज्ञान और मुक्ति का मार्ग मिला। श्री बुद्ध गाय माता को मनुष्य की परम मित्र कहते हैं।
– जैन आगमों में कामधेनु को स्वर्ग की गाय माता कहा गया है और प्राणिमात्र को अवध्या माना है। भगवान महावीर के अनुसार गौ रक्षा बिना, मानव रक्षा संभव नहीं।
– गांधीजी ने कहा है कि गोवंश की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना ही है, भारत की सुख- समृद्धि गाय के साथ ही जुड़ी हुई है। गाय माता प्रसन्नता और उन्नति की जननी है, गाय माता कई प्रकार से अपनी जननी से भी श्रेष्ठ है।
गाय माता से संबंधित धार्मिक व्रत व उपवासः-
1. गोपद्वमव्रत- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रत- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजा- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रत- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती है।
5. गोपाअष्टमी- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रत- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।