हैरान कर देने वाली बात दूध नहीं देती गाय फिर भी सालाना 3.50 करोड़ का मुनाफा पर कैसे ?
हरियाणा लाडवा : इनके गोशाला में एक भी गाय दूध नहीं देती, फिर भी इनका सालाना मुनाफा करीब 3.50 करोड़ रुपये हैं, है ना चौकाने वाली बात. ऐसा भी नहीं है कि ये किसी अनैतिक व्यापार के जरिये इतना पैसा कमाते हैं. बल्कि इन्होने इस व्यापार के लिए उन गायों को चुना जिन्हें, दूध न दे पाने के कारण लावारिस छोड़ दिया जाता है. कई तरह की बीमारियों के कारण सड़कों पर ये गायें लावारिस पड़ी रहती हैं. ऐसे गायों को एक-एक कर गोशाला में लाकर पहले तो ये सबका इलाज करवाते हैं. फिर इन गायों की सही से देख रेख शुरु होता है, इनका पूरा व्यापार गोबर और गोमूत्र पर चलता है. ये पूरी कहानी है Haryana के लाडवा की. दरअसल अलग-अलग संस्थाओं के मुताबिक, पंजाब और Haryana में एक लाख से ज्यादा लावारिस गाय हैं. इन्हें पालेगा कौन ? ये बड़ा सवाल था. दूध न देने वाली देसी गायों को कोई पाल भी ले तो क्या सिर्फ धर्म के नाम पर, लेकिन ये लंबे समय के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं दिखता, लेकिन Haryana के लाडवा के कुछ लोगों ने इसे मुनाफे के नजरिए से देखा और एक ऐसी मिसाल पेश की, जो सही मायनों में लावारिस देसी गायों को बचाने की एक पहल हो सकती है. पंजाब और Haryana में इम्पोर्टेड नस्लों की गायों पर खड़े करीब 10 हजार करोड़ के जमे-जमाए डेयरी बिजनेस के बीच लाडवा के लोगों का ये जोखिम वाला फैसला चौंकाने वाला लग सकता है, क्योंकि इन्हनो बिजनेस चलाने के लिए और पैसा कमाने के लिए उन गायों को चुना,जिन्हें दूध न दे पाने के कारण लावारिस छोड़ दिया गया जाता है. ये गायें कई तरह की बीमारियों के कारण सड़कों पर पड़ी रहती है. गोशाला के प्रधान आनंद राज की मानें तो ‘गाय को जब तक आस्था या राजनीति से जोड़कर रखेंगे, तब तक इनकी यही हालत होगी. हमें समझना होगा कि गौपालन शुद्ध बिजनेस भी हो सकता है. आनंद गाय के गोबर से बायोगैस बनाते हैं, इसके बाद बायोगैस से निकले वेस्ट से जैविक खाद. आनंद का बिजनेस इतना ही नहीं है, वो गाय के मूत्र का भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं. आनंद गाय के मूत्र का इस्तेमाल कीटनाशक बनाने के लिए करते हैं, इसके साथ ही इसका अर्क भी बनता है, जो अलग-अलग दवाओं में इस्तेमाल होता है. आनंद का कहना है कि इसकी सही मार्केटिंग के जरिये अछा मुनाफा कमाया जा सकता है
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इस तरह होता है मुनाफा
Haryana के लाडवा में रहने वाले आनंनद की मानें तो गोशाला में एक गाय औसतन 10 किलो गोबर और 10 लीटर मूत्र देती है. 10 किलो गोबर से 7 किलो खाद बनती है, जो 35 रुपए में बिकती है, इसके साथ ही 10 लीटर मुत्र से 10 लीटर अलग-अलग उत्पाद बनते हैं, जो सौ रुपए प्रति लीटर के हिसाब बिक जाता है. इस तरह से गोशाला से हर रोज 11 लाख से ज्यादा की आमदनी है. आनंद को सबसे ज्यादा फायदा ये है कि लावारिस गाय खरीदनी नहीं पड़ती, और इनके चारे पर के साथ इलाज पर रोजाना करीब 50 से 60 रुपये का ही खर्च है आता है।