जीण घर में गाय रे गौबर रो गारों
देसी गाय का गोबर है महाऔषधी- हमारे देश में प्राचीन काल से ही गाय को माता का पवित्र स्थान दिया गया है. और बड़े-बड़े रिसर्च में भी गाय की हर चीज को महाँ औषधी के रूप में प्रमाणित कर दिया गया है. गौमाता किसी बड़े औषधालय से कम नहीं है । इसमें अनेकों गुण कूट-कूट के भरे हुए हैं. इसका दूध, गोबर, मूत्र सभी बहुत ही उपयोगी है. और इनसे बहुत सी दवाएं तैयार होती हैं.
देसी गाय का गोबर में अनेकों ऐसे गुण छिपे हैं. जिन के बारे में हम जानते ही नहीं हैं. आयुर्वेद में भी इन सब का बहुत महत्व पाया जाता है. और इसके मूत्र को बड़े-बड़े रोगों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अमेरिका के एक रिसर्च में देसी गाय का गोबर को भी एक महा औषधी साबित किया है। गोबर में कीटाणुओं को दूर करने की बहुत बड़ी शक्ती होती है।
आदि अनादी काल से भुमी की उर्वरकता बढाने एंव फसलो की अधिकता पाने के लीऐ गाय के गौबर से बने खत सबसे उपयोगी है जीससे भुमी की शक्ती बढती है ।ओर फसले अधिक मात्रा मे होती है।
गाय के गोबर को सुखा कर जला कर भस्म बना लें. गाय के मक्खन को 100 बार पानी से धो लें. मक्खन को इस तरह धोएं. (एक ताम्बे कि थाली लें ,इसमें 100 ग्राम मक्खन रखें और पानी के छींटे मारें फिर हाथ से उसे मथ कर सारा पानी निकाल दें. ऐसा सौ बार करें. इस विधी को शतधौत क्रिया कहते हैं ) इसके बाद इस मक्खन में 25 ग्राम भस्म को मिला कर रख लें. और जब भी खाज खुजली हो इसे लगायें तुरंत लाभ होता है.
रक्त दोष --फोड़े फुंशी होने पर उन्हें गाय के मूत्र से साफ करके उन पर ताजा गोबर लगाने से वह जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
गौबर का धुआ--गौबर के कंडे ( उपलो ) को जलाकर अंगारो पर गाय के शुद्ध देशी घी की बुंदे डालने से वातावरण शुद्ध हो जाता है।
आखों की फुंसी-कभी न कभी हर व्यक्ती की पलक के ऊपर फुंशी निकल आती है. ऐसी स्थिति में गौमूत्र की दो बूंद दिन में 3 बार आखों की पलको के उपर डालने से तुरंत लाभ होता है.
एड़ी का दर्द--जब किसी भी कारण से एड़ी में दर्द होने लगे और चलने फिरने में परेशानी हो तो रोज सूर्य उदय से पहले गाय के ताजा गोबर में एड़ी को रख कर 10 मिनिट खड़े रहें अगर सुबह शाम दोनों टाइम करें तो और भी ज्यादा लाभ देता है.( गोबर ताजा और गर्म होना चाहिए) इससे दर्द कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा.
पेट के कीड़े--कुछ दिनों तक गाय का मूत्र पीने और नाभी पर गोबर का लेप करने से उदर क्रमी बाहर निकल जाते हैं.
बर्र, मच्छर, मक्खी, मकड़ी के काटने पर काटे हुए स्थान पर तुरंत गाय का गोबर मलें और लेप करके बांध दें ऐसा दिन में 2-3 बार करें इससे जहर का असर कम हो कर आराम आता है.
भयंकर जलोधर रोग-- इस रोग में रोगी के पेट में पानी भर जाता है. और जरा सी भी लापरवाही खतरनाक सावित हो सकती है. ऐसी स्थिति में रोगी को धुप में लिटा कर उसके पेट पर ताजा गोबर का लेप करें. लेप की परतें मोटी होनी चाहिए. ऐसा दिन में 3-4 बार करें. 50 ग्राम गौ मूत्र में 2 ग्राम यवक्षार मिला कर दिन में 2-3 बार पिलायें. और रोगी को शिफऱ् गाय के दूध पर ही रखें. इससे आश्चर्यजनक लाभ होता है.
चेचक --यह रोग होने पर रोगी के कमरे में गोबर का लेप करें. इसके उपलों की धूम्नी दें,गौमूत्र भी पिलायें,और चेचक पर गोबर के रस में कपूर मिला कर लेप करें इससे शीतलता आती है.
गाय के गौबर से घर आगंन को लीपने से बेक्ट्रीया नष्ट हो जाते है एंव भुमी से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है ।व शितलता प्रदान होती है।
गाय के गौबर को सुखाकर इधंन के रूप मे काम मे लीया जाता है ।एंव उपलो को जलाकर उसमे स्वादिष्ट खाने के रोटो को पकाया जाता है।
कीसी भी धार्मीक कार्य करने से पहले भुमी के शुद्धीकरण के लीऐ गौबर से लीपा जाता है।एंव हवन करने के लीऐ उपलो को जलाया जाता है।
गौबर के सुख जाने के बाद उन्हे जलाकर राख से भबुत भस्म तैयार की जाती है जीसको साधु संत अपने शरीर के अंगो पर लगाते है जीससे मन शांत एंव माथे पर लगाने से दिमाग मे शितलता मीलती है।
गोबर भष्म से बर्तनों को माजंने से बर्तन चमकीले एंव बेक्ट्रीया नष्ट हो जाते है। गौबर भस्म मे पीसी हुई लोंग का पाऊडर , नमक व पीसे हुऐ नीम के पत्तो को मीलाकर सस्ता शुद्ध एंव मसुडों एंव दातो के लीए लाभदायक दंत मंजन बनाया जाता है।
गौबर भस्म -- को खेती मे फलो सब्जीयो के पेड पोधो पर हल्की भस्म का छिडकाव करने से उन पर रोग व कीडे नष्ट हो जाते है।
प्रस्तुति : देवेन्द्र सिंह आर्य 'भगतजी' (लेखक 'उगता भारत ट्रस्ट' के गौपालन प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।)