गौ - चिकित्सा भाग - 4 ( जेर )
गाय या भैंस की जेर ( झर ) न गिरना ।
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गाय - भैंस प्रसव ( डिलिवरी ) के बाद ६-७ घन्टे बाद अपने आप जेर को बाहर डाल देती है । कमज़ोर मादा पशु की जेर कभी - कभी देर में भी गिरती है और जेर कुछ समय बाद सड़ने लगती है ।
जेर न गिरने तक , रोगी मादा पशु , सुस्त बेचैनी रहती है । चारा - दाना ठीक से नहीं खाती । उसकी योनि में से दुर्गन्ध आती है । पेशाब बार- बार और थोड़ा - थोड़ा आता है । कभी जेर छोटे- छोटे टुकड़ों में गिरती है ।
१ - औषधि - फेफर की छाल ९६० ग्राम , गुड़ २४० ग्राम , अजवायन ६० ग्राम , पानी २८८० , सबको बारीक पीसकर , पानी के साथ उबालें । आधा पानी रह जाय तो उसे छानकर रोगी पशु को , दोनों समय , अच्छा होने तक ,पिलाया जायँ ।
२ - औषधि - अलसी या तिल्ली का तैल ४८० ग्राम , अजवायन २४ ग्राम , अजवायन को बारीक पीसकर , तैल में मिलाकर , गरम कर गुनगुना ही रोगी मादा पशु को चार दिन तक एक समय पिलाने से जेर गिर जाया करती है ।
३ - औषधि - अश्वगन्धा ६० ग्राम , अजवायन १२० ग्राम , बाँस की पत्ती १८० ग्राम , गाय का दूध १६० ग्राम , गुड़ २४० ग्राम , अदरक २४ ग्राम , सबको बारीक पीसकर , दूध को उबाल लें । फिर छानकर गुनगुना ही रोगी पशु को , दोनों समय , अच्छा होने तक , पिलायें ।
आलोक -:- काढ़े को उतारने के बाद गुड़ को बारीक पीसकर डाला जायँ ।वरना दूध फट जायेगा ।
४ - औषधि - अदरक २४ ग्राम , इन्द्रायण फल ९ ग्राम , अजवायन १२० ग्राम , गुड़ २४० ग्राम , पानी २ लीटर , सबको पीसकर के रोगी मादा पशु को , दोनों समय ८ दिन तक बोतल द्वारा पिलाया जाय तो जेर गिर जायगी ।
टोटका -:-
५ - औषधि - रोगी मादा पशु को गूलर के फल ८० ० ग्राम , चलनी में रखकर खिलाने से भी जेर गिर जाती है ।
६ - औषधि - रोगी मादा पशु को गन्ने की पत्तियाँ खिलाने से भी जेर बाहर आ जाती है ।
७ - औषधि - नीम की पत्ती उबालकर , पानी ठंडा होने पर , योनि - मार्ग को धोना चाहिए ।
८ - औषधि - पशु की योनि को एनिमा से धोना चाहिए । उससे पीप बाहर निकल जायगा और पशु को जल्दी आराम होगा ।
आलोक -:- जब पशु ने जेर न गिरायी न हो तो उसमें गोबर लगा देने से गाय जेर को नहीं खाती तथा रात में जागना भी नहीं पड़ता । जब पशु ने जेर न गिरायी हो तो पशु को ऐसे कोने में खूँटा गाड़कर बाँधना चाहिए कि मादा पशु घूम न सके और जेर को खा न सकें ।