गाय और गांव

गोमाता को वचन दे के प्लास्टिक का उपयोग बंद करेगे

गोमाता को वचन दे के प्लास्टिक का उपयोग बंद करेगे

आईये हम सब गोमाता को वचन दे के प्लास्टिक का उपयोग बंद करेगे ।
कोई भी वयक्ति जो प्लास्टिक का उपयोग करता है,गोमाता के लिये किसी हत्यारे से कम नही है।
क्यिोंकी प्लास्टिक खाने के बाद गोमाता के बचने कि संभावना ना के बराबर रहती है।
इसलिये यदि पुण्य नही कमा सकते, कम से कम पाप तो ना कमाये।

भारतीय नस्ल के गाय की 15 खूबियां, जो उन्हें माता का दर्जा प्रदान करती है

भारतीय नस्ल के गाय की 15 खूबियां, जो उन्हें माता का दर्जा प्रदान करती है

1.  भविष्य पुराण में लिखा गया है कि गोमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं का और रोमकूपों में महर्षिगण, पूँछ में अन्नत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगा, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र का वास  हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा गाय

हमारा खेतिहर देश जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर खड़ा है, जिसकी आत्मा गाय है। संसार के अन्य देशों के लोग दूध के लिये गाय और खेती के लिये घोड़े या मशीन रखते हैं। वहां के किसानों का काम भिन्न भिन्न पशुओं से चलता है पर हमारे पूर्वजों ने एक ही गाय से दोनों काम किए, गाय से दूध और गोपुत्र बैल से हल चलाना। गांव नगरों में भार—बोझ ढोने, कुएँ—रहट तथा तेलघानी चलाने आदि का काम भी बैलों से लिया जाता है। आज भी ७०% खेती का आधार बैल ही है। हमारे जीवन की आवश्यक खाद्यान्न वस्तुएँ खेती से ही प्राप्त होती हैं और इस हेतु गोवंश हमारे कृषि जीवन का बहुत बड़ा आधार है। वस्तु का मूल्यांकन आर्थिक दृष्टि से होता है। विश्ववि

ऊर्जा संकट में गोवंश

ऊर्जा संकट में गोवंश

भारत में पशुधन आज भी ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत है। पिछड़ेपन का प्रतीक मानी जाने वाली बैलगाड़ी हमारे देश के सारे के सारे बिजली घरों से अधिक ऊर्जा देती है। यदि पशुओं को उनके काम से हटाना हो तो हमें अतिरिक्त ऊर्जा के लिये लगभग ३००० अरब रूपये खर्च करने पड़ेंगे। देश के बोझा ढ़ोने वाले पशुओं की संख्या १२ करोड़ मानी जाती है। यदि प्रतिपशु आधा हार्स पावर ऊर्जा मानी जाय तो इनसे हमें ६ करोड़ हार्सपावर ऊर्जा मिलती है।

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