भारत देश की रीढ़ है गौ माता – साध्वी सुमेधा भारती
अजमल खाँ पार्क, करोल बाग दिल्ली में सात दिवसीय श्री गो कथा के अंतिम दिवस में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती जी ने बताया कि आज समय की मांग है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलें। हमारे भारत देश में जब-जब भी गाय पर अत्याचार हुआ तब-तब गो रक्षक आगे आए। उन्होंने अपने प्राणों की चिंता किए बिना गाय माता को प्रत्येक विपदा से बचाया। भगवान श्री कृष्ण जी ने तो गाय को दावानल से बचाने के लिए अग्नि तक का पान कर लिया था। मंगल पांडे जी ने गोरक्षा के लिए फाँसी के फंदे को भी स्वीकार कर लिया था। महाराज दलीप जी ने गाय के बदले अपने प्राण सिंह को देना उचित समझा था। भारत देश में गाय को ही सर्वश्रेष्ठ धन समझा गया और गाय ही हमारे देश की रीढ़ है। अगर गाय सुरक्षित होगी तभी हम भी सुरक्षित होंगे।
अगर गाय असुरक्षित हुई तो धरती के साथ-साथ मानव का जीवन भी असुरक्षित हो जाएगा। इसलिए अर्वाचीन समय में आवश्यकता है कि सभी भारतवासी मिल कर गोसंरक्षण, गो संवर्धन व गो दान के लिए आगे आएं। लुप्त होती जा रही भारतीय देसी गाय की नस्लों को बचाएं। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि गो रक्षण एक महान यज्ञ के मानिंद है जिसे संपूर्ण करने के लिए सभी को अपनी सहयोग रूपी आहूति डालनी चाहिए। आज सर्व श्री आशुतोष महाराज जी जन-जन को भारतीय संस्कृति व गाय माता के महत्व के बारे समझा ही नहीं रहे, बल्कि अध्यात्म ज्ञान के माध्यम से उसे सभी के भीतर रोपित भी कर रहे हैं। संस्थान के सामाजिक प्रकल्पों के तहत गाय के संरक्षण, संवर्धन व नस्ल सुधार हेतु ‘‘कामधेनु प्रकल्प” चलाया जा रहा है।
जिसके अंतर्गत संस्थान की अनेकों गोशालाएँ है। जहाँ भारतीय नस्ल की उत्तम गाय जैसे साहीवाल, गीर, थारपारकर, कांकरेज इत्यिादि का संरक्षण व संवर्धन हो रहा है। आज देशों व विदेशों से अनेकों वैज्ञानिक, डॉक्टर्स गाय पर रिसर्च करने के लिए संस्थान की गोशालाओं में विजिट कर रहे हैं। उनके लिए यह गोशालाएं एक अनुसंधान केन्द्र है। वह कामधेनु गोशाला में आकर हैरान हो जाते हैं और कहते हैं कि इस समय में जहाँ भारतीय गाय की नस्लें कम होती जा रही है, सोच भी नहीं सकते कि हमें एक साथ इतनी नस्लें दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की गोशाला में देखने को मिल सकती हैं। बिना किसी बाहरी सहायता के पिछले दस सालों में कामधेनु प्रकल्प ने गो संवर्धन व नस्ल सुधार में इतनी सफलता प्राप्त की है कि भारत सरकार ने इस प्रकल्प को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया और कामधेनु गौशाला को उत्तर भारत की प्रथम गौशाला भी घोषित किया। साध्वी जी ने बताया कि एक ओर जहाँ आज भारतवासी अपनी संस्कृति व गाय को माहात्म्य को भूल रहे हैं वहीं सर्व श्री आशुतोष महाराज जी पुनः भारतवासियों को उनकी संस्कृति के साथ जोड़ कर गाय का माहात्म्य समझा रहे हैं। भारतवासी अपनी संस्कृति के साथ-साथ आयुर्वेद को भी विस्मृत करते जा रहे हैं। लेकिन महाराज जी आयुर्वेद को भी आज प्राथमिकता दे रहे हैं। संस्थान की अपनी आयुर्वेदिक फार्मेसी भी है। जहां गाय के पंचगव्य के माध्यम से अनेकों प्रकार की दवाईयों का निर्माण हो रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के माध्यम से आज जन-जन जाग रहा है और संस्थान का समाज के आगे आह्नान है कि सभी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर जीवन की सही दिशा को जाने व अपनी भारतीय संस्कृति को पहचानें।