gauparivar's blog

हम गौ सेवा कैसे करें?

हम गौ सेवा कैसे करें?

हम गौ सेवा कैसे करें?
हम गौ सेवा कैसे करें , कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है ,
इसकेलिए यह जानना जरुरी है की हम गौ सेवा निम्न प्रकार से कर सकते है :-

जय गौ माता जय गोपाल

जय गोपाल

जय गौ माता जय गोपाल
जय श्री राधे राधे.......
जरूर पढे और शेयर करे 
बचालो रे बचालो गाय माता को बचालो 
यही जीवन का प्राण है, यही जीवन का आधार है,

ये नही है कोई जानवर, यह गलत फहमी मिटा के, बचालो रे बचालो गाय माता को बचालो 
गाय माता जब बचेगी, तभी हम भी बचेगे 
गौ की सेवा जब होगी, तभी हम भी सुख शांति से रहेगे
हो......मेरे प्यारे....गौ वत्स बनके गाय माता को बचालो ह
बचालो रे बचालो गाय माता बचालो 
जय गौ माता जय गोपाल

धेनु: सदनम् रचीयाम्

धेनु: सदनम् रचीयाम्

आज यत्र—तत्र—सर्वत्र शाकाहार की चर्चा है किन्तु धर्मप्राण देश भारत, जहां की संस्कृति में गाय को माता तुल्य आदर प्राप्त है, वहां मांसाहार तथा मांसनिर्यात हेतु गो हत्या अत्यन्त शर्मनाक है। अहिल्या माता गोशाला जीव दया मण्डल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस निबन्ध प्रतियोगिता में सम्पूर्ण देश से ५६ प्रविष्टियाँ प्राप्त हुर्इं थीं। निर्णायक मण्डल ने कु. पटेल के आलेख को प्रथम घोषित किया। जनरुचि का विषय होने तथा शाकाहार के प्रचार में महत्वपूर्ण होने की दृष्टि से अर्हत् वचन के पाठकों के लिये यह आलेख प्रस्तुत है।

धेनु: सदनम् रचीयाम्’’ (अर्थववेद—११.१.३४)

इक्कीसवीं सदी में बैलों का भविष्य

इक्कीसवीं सदी में बैलों का भविष्य

भारत में अधिकतर किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है,लेकिन भारत सरकार की जो नीतियां चल रही हैं वे अधिकतर बड़े किसानों के लिये हैं। यंत्रीकरण और ट्रेक्टरों के लिए ऋण, अनुदान व अन्य सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है, जिनका उपयोग वे किसान नहीं कर सकते जिनके पास चार पाँच हेक्टेयर भूमि है। उन्हें तो पशुशक्ति पर ही आधारित रहना होगा। प्रश्न यह उठता है कि क्या पशुशक्ति आर्थिक दृष्टि से ट्रैक्टर का मुकाबला नहीं कर सकती? यदि सभी पहलू देखे जाएं और उनका मूल्यांकन किया जाय तो पशुशक्ति न केवल इक्कीसवीं सदी में बल्कि शायद २५ वीं सदी में भी अधिक उपयोगी बनी रहेगी।

Pages