महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है|
१. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारण नहीं समझना चाहिये गौ के शरीर में “३३ करोड़ देवी देवताओ” का वास होता है. गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है|
२. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन-मन-धन से गौ की सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है. |