गोवंश और रोजगार
किसान के लिये केवल खेती तथा ग्वाले के लिये केवल दूध का उत्पादन व दूध की कमाई आर्थिक दृष्टि से अधिक लाभप्रद नहीं है। खेती का उत्पादन व दूध की कमाई मिलकर ही किसान को संभाल सकते हैं इसीलिए हमारी सरकार भी हरित क्रांति के साथ दुग्ध क्रांति की योजना चला रही है। हरित क्रांति से कृषि का उत्पादन बढ़ा है जो उसका लक्ष्य था पर हरित क्रांति तब तक अपूर्ण है, जब तक कि दुग्ध क्रांति नहीं होती है। गांवों में भूमिहीनों की बढ़ती बेरोजगारी देखकर सरकार ने डेयरी उद्योग को प्राथमिकता दी है जिससे गांवों के लोगों को रोजगार मिले। पूरे देश के आंकड़े बताते हैं कि १९५१ में दुग्ध उत्पादन १७ मिलियन टन था जबकि १९८८ में ३६