देशी गाय और गव्यों का महत्व ..
आज हम कितने गर्त में गिर चुके है जो गाय को देशी कहकर संबोधित करना पड़ता है और भगवान कृष्ण के वंशजों को देशी गाय की पहचान बतानी पड़ती है। जिस प्रकार हर पीली वस्तु सोना नहींहोती उसी प्रकार हर चार पैर, चार थन वाला जीव गाय नहीं होता । हम दूध के इतने लालची हो गए है कि विदेशी सूअर (जर्सी ,होल्सटीन,फ्रीजियन ) को भी गाय कहने और मानने लगे है गाय तो देशी ही होती है। गाय की पीठ पर विद्यमान सूर्यके्तु नाडी सौर मंडल की समस्त ऊर्जा को अवशोषित कर अपने गव्यों (दूध ,मूत्र,गौमय) में डालकर समस्त मानव जीवन और प्रकृति को निरोगी एवं सम रखने का कार्य करती हैं। हमारा शरीर पंचमहाभूतों से बना हैं ये प