पंचगव्य

तो यह कारन हे गाय का गोबर और गोमूत्र को पवित्र मानने का !

आपने हवनकुंड और पूजा के स्थान पर गोबर को देखा ही होगा। लोग भगवान की पूजा दोरान गौ माता के गोबर का इस्तेमाल करते हे। गाय के गोबर में भयानक रोग को ठीक करने की क्षमता होती हे। क्या आपको पता हे पुराने ज़माने में लोग गोबर के उपले में भोजन बनाते थे।

गोबर शब्द का प्रयोग गाय, बैल, भैंस या भैंसा के मल के लिये होता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। इसलिए गाय को पवित्र पशु माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गाय के मुख वाले भाग को अशुद्ध और पीछे वाले भाग को शुद्ध माना जाता है।

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एचआईवी से बचा सकता है सर्वदेवामयी गौ माता का दूध’

गाय का दूध अब एचआईवी को दूर भगाएगा। जी, हां यह सच है। ऑस्ट्रेलिया में हुए एक रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें दावा किया गया है कि गाय के दूध को आसानी से एक ऐसी क्रीम में बदला जा सकता है जो इंसान को एचआईवी से बचा सकता है। मेलबर्न यूनिवर्सिटी के चीफ साइंटिस्ट मेरिट क्रेमस्की ने रिसर्च के दौरान पाया कि जब प्रेगनेंट गाय को एचआईवी प्रोटीन का इंजेक्शन दिया गया, तो उसने हाई लेवल की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला दूध दिया जो नवजात बछड़े को बीमारी से बचाता है। गाय द्वारा बछड़े को जन्म दिए जाने के बाद पहली बार दिए गए दूध को ‘कॉलोस्ट्रम’ कहा गया। हेराल्ड सन की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों की योज

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दूध विज्ञान A1 MILK AND A2 MILK

गो गव्य ही सर्वोत्तम आहार हैं। यज्ञ में काम लिया जाने वाला घृत केवल और केवल गो-घृत ही होना चाहिये, तभी देवता उसको ग्रहण करेंगे। बाजारू घृत जो कि चर्बीयुक्त हो सकता है या फिर अन्य पशुओं का घृत जो कि अशुद्ध माना जाता है, देवता नहीं दानव ग्रहण करेंगे। उससे देव शक्ति की बजाय दानवी शक्ति का पोषण होगा। परिणाम हमारे लिये निश्चित उल्टा ही होगा। अतः यज्ञ में केवल गो-गव्यों का ही प्रयोग करना चाहिये। शास्त्र विरुद्ध किया गया कार्य पूरी सृष्टि के लिये हानिकारक होता है। शास्त्र में जहाँ भी दूध, दही, छाछ, मक्खन, घृत आदि उल्लेख किया गया है वो केवल गाय के गव्य ही हैं, क्योंकि उस समय भैंस, जर्सी, हॉलिस्टीयन

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