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धार्मिक कार्यों में गाय के गोबर का प्रयोग क्यों?

धार्मिक कार्यों में गाय के गोबर का प्रयोग क्यों?

आपने देखा होगा कि किसी भी धार्मिक कार्यों में गाय के गोबर से स्थान को पवित्र किया जाता है। गाय के गोबर से बने उपले से हवन कुण्ड की अग्नि जलाई जाती है। आज भी गांवों में महिलाएं सुबह उठकर गाय गोबर से घर के मुख्य द्वार को लिपती हैं। माना जाता है कि इससे लक्ष्मी का वास बना रहता है। प्राचीन काल में मिट्टी और गाय का गोबर शरीर पर मलकर साधु संत स्नान भी किया करते थे।

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गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है।

गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह पूज्य है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी महोत्सव मनाया जाता है।
मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान
श्रीकृष्ण ने गोवर्धनपर्वत धारण किया था। आठवें दिन इंद्र अहंकाररहित श्रीकृष्ण की शरण में आए तथा क्षमायाचना की। तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है।
ऐसे मनाएं महोत्सव

यदि हम गौओं की रक्षा करेंगे तो गायें भी हमारी रक्षा करेंगी।

यदि हम गौओं की रक्षा करेंगे तो गायें भी हमारी रक्षा करेंगी। 
गांव की आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक घर में तथा घरां के प्रत्येक समूह में एक गो शाला होनी चाहिए। 
दूध गरीब-अमीर सबको मिलना चाहिए। 
गृहस्थों को पर्याप्त गोचरभूमि मिलनी चाहिए। 
गौओं को बिक्री के लिए मैलों में भेजना बिल्कुल बंद कररना चाहिए, क्योंकि इससे कसाइयों को गाय खरीदने में सुविधा होती है
किसानों की स्थिती सुधार के लिए दिये जाने वाले इन सुझावों तथा अन्य सुझावों को कार्यरूप में परिणित करने
के लिए ग्राम पंचायतोंका निर्माण होना चाहिए। -

एक माँ का दर्द ..........

एक माँ का दर्द ..........

में आप की गाय माता बोल रही हू

क्या आप को पता है की मेरी हत्या की क्या साजा है ? सायद नहीं और जो साजा इन दरिंदों को मिलती है मेरी हत्या की आप को लगता है की य काफी है ??

मेरी हत्या की साजा केवल 5 से 6 साल है य फिर जुरमाना दे कर भी छुट जाते है ! बहुत से केसों में तो पुलिस वाले उनेहे पैसे लेकर ही छोड़ देते है !

में आप से पूछ रही हू की आप की माँ के हत्यारों को य साजा काफ्ही है ??

अगर आप की माँ होती तो क्या आप तबभी कुछ नहीं कहेते !

है सायद में एक बेजबान जानवर ही तो हू

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