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पर्यावरण और गाय

पर्यावरण और गाय
  • कृषि, खाद्य, औषधि और उद्योगों का हिस्सा के कारण पर्यावरण की बेहतरी में गाय का बड़ा योगदान है ।
  • प्राचीन ग्रंथ बताते हैं कि गाय की पीठ पर के सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकीरण को रोख कर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं । गाय की उपस्थिति मात्र पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है ।
  • भारत में करीब ३० करोड़ मवेशी हैं । बायो-गैस के उत्पादन में उनके गोबर का प्रयोग कर हम ६ करोड़ टन ईंधन योग्य लकड़ी प्रतिवर्ष बचा सकते हैं । इससे वनक्षय उस हद तक रुकेगा ।
  • गोबर का पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण भाग है ।

मां के दूध के बाद सबसे पौष्टिक आहार देसी गाय का दूध ही है ।

मां के दूध के बाद सबसे पौष्टिक आहार देसी गाय का दूध ही है ।

आज भी गाय की उत्पादकता व उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है । केवल हमने अपनी जीवनशैली को प्राकृतिक आधार से हटाकर यन्त्राधारित बना लिया है । विदेशियों के अंधानुकरण से हमने कृषि को यन्त्र पर निर्भर कर दिया । यन्त्र तो बनने के समय से ही ऊर्जा को ग्रहण करने लगता है और प्रतिफल में यन्त्रशक्ति के अलावा कुछ भी नहीं देता । बैलों से हल चलाने के स्थान पर ट्रेक्टर के प्रयोग ने जहाँ एक ओर भूमि की उत्पादकता को प्रभावित किया है वहीं दूसरी ओर गोवंश को अनुपयोगी मानकर उसके महत्व को भी हमारी दृष्टि में कम कर दिया है । फिर यन्त्र तो ईंधन भी मांगते हैं । आज खनिज तेल के आयात के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत अ

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गाय का वैज्ञानिक महत्व

ऐसा नहीं है कि गाय केवल धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण होती है। बल्कि कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी हैं जो गाय के महत्व को दर्शाते हैं। भले ही दूध, दही, घी के मामले में आज भैंस से मात्रात्मक दृष्टि से उत्पादन ज्यादा मिलता हो लेकिन गुणवत्ता के मामले में गाय के दूध, व गाय के दूध से बने उत्पादों का कोई मुकाबला नहीं हैं। एक और गाय का दूध ज्यादा शक्तिशाली होता है तो वहीं उसमें वसा की मात्रा भैंस के दूध के मुकाबले बहुत कम मात्रा में पायी जाती है। गाय के दूध से बने अन्य उत्पाद भी काफी पौष्टिक होते हैं।

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गाय ने बाघ को मारा

ये खबर लगती तो अविश्वसनीय सी है लेकिन ये सच है कि एक बाघ को एक गाय ने मार डाला.

बाघ शुक्रवार को गाय के बाड़े में घुस गया था जहाँ गाय ने उसे सिंग से मार-मारकर इतना घायल कर दिया था कि शनिवार को उसकी मौत हो गई.

हालांकि वन अधिकारियों का कहना है कि बाघ पहले से घायल था और गाय से मिली चोट की वजह से वह बच नहीं सका.

असहाय बाघ

ये घटना तमिलनाडु में कोयम्बटूर के वालपराई की है.

चाय उगाने वाले इस गाँव के एक व्यक्ति ज्ञानशेखरन ने शुक्रवार की सुबह क़रीब साढ़े छह बजे देखा कि उसकी गाय के बाड़े में एक बाघ घुसा बैठा है.

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