gauparivar's blog

वैदिक काल में समद्ध खेती का मुख्य कारण कृषि का गौ आधारित होना था।

वैदिक काल में समद्ध खेती का मुख्य कारण कृषि का गौ आधारित होना था।

वैदिक काल में समद्ध खेती का मुख्य कारण कृषि का गौ आधारित होना था। प्रत्येक घर में गोपालन एवं पंचगव्य आधारित कृषि होती थी, तब हम विश्व गुरू के स्थान पर थे। भारतीय मनीषियों ने संपूर्ण गौवंश को मानव के अस्तित्व, रक्षण, पोषण, विकास एवं संवध्र्रन के लिये आवश्यक समझा और ऐसी व्यवस्थाऐं विकसित की थी जिसमें जन मानस को विशिष्ट शक्ति बल तथा सात्विक वृद्धि प्रदान करने हेतु गौ दुग्ध, खेती के पोषण हेतु गोबर-गौमूत्र युक्त खाद, कृषि कार्याे एवं भार वहन हेतु बैल तथा ग्रामद्योग के अंतर्गत पंचगव्यों का घर-घर में उत्पादन किया जाता था। प्राचीन काल से ही गोपालन भारतीय जीवन शैली व अंर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग रहा

यह सारी कामनायें पूर्ण करने वाली ‘‘कामधेनु’’है।

यह सारी कामनायें पूर्ण करने वाली ‘‘कामधेनु’’है।

भारत में गाय मात्र दुधारू पशु नहीं है, यह सारी कामनायें पूर्ण करने वाली ‘‘कामधेनु’’है। इससे लाखों परिवारों का पोषण होता है। डेयरी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में ४९ हजार ग्रामीण दुग्ध उत्पादन सहकारी संगठनों के लगभग ५० लाख से ज्यादा ग्वाल परिवार प्रतिदिन ८० लाख टन दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। सन् १९८७ में दुग्ध उत्पादन ४ करोड़ टन के आसपास रहा, जो १९९५ में बढ़कर ५ करोड़ ४९ लाख टन हो गया है। दुग्ध उत्पादन में ग्वाल परिवार के अलावा सहकारी एवं निजी डेयरियां एवं गोभक्तों की बड़ी जमात सक्रिय है। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का १५००० करोड़ रुपये का योगदान माना जाता है,उसमें ७०% दूध तथा

Blog Category: 

‘‘चरक संहिता’’ में गाय के दूध के १० गुण बताये गये हैं

गाय से प्राप्त पदार्थों की महत्ता

आयुर्वेद में बताया गया है कि ‘‘गाय के दूध में विविध प्रकार के १०१ पदार्थ होते हैं जिनमें १९ प्रकार के स्नेहाल्म (फेटीओसड) हैं, ६ विटामिन, ८ क्रियाशील रस, २५ खनिज, १ शक्कर, ५ फास्फेट,१४ नाइट्रोजन पदार्थ हैं। इसमें २०% मक्खन होता है तथा कैल्शियम होता है जो हड्डियोें को मजबूत कर उसके क्षय को रोकता है। विटामिन तथा जैविक प्रोटीन भी खूब होता है,जिससे प्रक्रिया स्वाभाविक गति से चलती है। इस प्रकार गोदुग्ध पूर्ण आहार है।’’

Blog Category: 

विदेशी गोवंश विषाक्त क्यों है?

विदेशी गोवंश

जैसा कि शुरू में बतलाया गया है कि विदेशी गोवंश में अधिकांश गऊओं के दूध में ‘बीटा कैसीन ए1’ नामक प्रोटीन पाया गया है। हम जब इस दूध को पीते हैं और इसमें शरीर के पाचक रस मिलते हैं व इसका पाचन शुरू होता है, तब इस दूध के ए1 नामक प्रोटीन की 67वीं कमजोर कड़ी टूटकर अलग हो जाती है और इसके ‘हिस्टिाडीन’ से ‘बी.सी.एम. 7’ (बीटा कैसो माफिन 7) का निर्माण होता है। सात सड़ियों वाला यह विषाक्त प्रोटीन ‘बी.सी.एम 7’ पूर्वोक्त सारे रोगों को पैदा करता है। शरीर के सुरक्षा तंत्र को नष्ट करके अनेक असाध्य रोगों का कारण बनता है।

Pages