Skahore's blog
गोरक्षार्थ धर्मयुद्ध सुत्रपात
धर्मप्राण भारत के हरदे सम्राट ब्रह्रालीन अन्न्त श्री स्वामी श्री करपात्री जी महाराज द्वारा संवंत २00१ में संस्थापित अक्षिल भारतवासीय धर्मसंघ ने अपने जन्मकाल से ही मॉ भारतीय के प्रतीक गो रक्षा पालन पूजा एंव संर्वधन को अपने प्रमुखा उद्देश्यो में स्थान दिया था। सन २१४६ में देश में कांग्रेस की अंतरिम सरकार बनी । भारतीय जनता ने अपनी सरकार से गोहत्या के कलंक को देश के मस्तक से मिटाने की मांग की। किंतु सत्ताधारी नेताओं ने पूर्व घोषणाओ की उपेक्षा कर धर्मप्राण भारत की इस मांग को ठुकरा दिया। सरकार की इस उपेक्षावर्ती से देश के गोभक्त नेता एवं जागरूक जनता चिन्तित हो उठी। उन्हे इससे गहरा आघात लगा। सन` १
एचआईवी से बचा सकता है सर्वदेवामयी गौ माता का दूध’
गाय का दूध अब एचआईवी को दूर भगाएगा। जी, हां यह सच है। ऑस्ट्रेलिया में हुए एक रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें दावा किया गया है कि गाय के दूध को आसानी से एक ऐसी क्रीम में बदला जा सकता है जो इंसान को एचआईवी से बचा सकता है। मेलबर्न यूनिवर्सिटी के चीफ साइंटिस्ट मेरिट क्रेमस्की ने रिसर्च के दौरान पाया कि जब प्रेगनेंट गाय को एचआईवी प्रोटीन का इंजेक्शन दिया गया, तो उसने हाई लेवल की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला दूध दिया जो नवजात बछड़े को बीमारी से बचाता है। गाय द्वारा बछड़े को जन्म दिए जाने के बाद पहली बार दिए गए दूध को ‘कॉलोस्ट्रम’ कहा गया। हेराल्ड सन की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों की योज
किसानो की भूल गौमाता को बेचना परिणाम गौहत्या
क्या बिना किसी कारण ही ओले किसानों की फसलों को यूँ ही मुफ्त में बर्बाद कर रहे हैं? यदि ऐसा हो रहा है तो वे भगवान पर आरोप लगाकर प्रकृति को चुनौती दे सकते हैं। बिना किसी वजह के कुछ नहीं होता है। हर चीज के पीछे एक कारण होता है, एक मकसद होता है। चाहे हम समझ पाएँ या नहीं समझे। क्या जानकर या फिर अंजाने में किसानों से भी कोई गलती हो सकती हैं ? प्राचीनकाल में किसान सबसे सुखी और खुशहाल हुआ करता था। लोग खेती को सबसे उत्तम व्यवसाय मानते थे। परंतु आधुनिक समय में लोग खेती करने वाले को पीछड़ा हुआ इंसान समझते हैं। यहाँ तक की सरकारें भी किसानों का शोषण करती हैं, आखिर क्यों?