गौ सवर्धन और कृषि ...

गौ सवर्धन और कृषि ...

वैदिक काल में समद्ध खेती का मुख्य कारण कृषि का गौ आधारित होना था। प्रत्येक घर में गोपालन एवं पंचगव्य आधारित कृषि होती थी, तब हम विश्व गुरू के स्थान पर थे। भारतीय मनीषियों ने संपूर्ण गौवंश को मानव के अस्तित्व, रक्षण, पोषण, विकास एवं संवध्र्रन के लिये आवश्यक समझा और ऐसी व्यवस्थाऐं विकसित की थी जिसमें जन मानस को विशिष्ट शक्ति बल तथा सात्विक वृद्धि प्रदान करने हेतु गौ दुग्ध, खेती के पोषण हेतु गोबर-गौमूत्र युक्त खाद, कृषि कार्याे एवं भार वहन हेतु बैल तथा ग्रामद्योग के अंतर्गत पंचगव्यों का घर-घर में उत्पादन किया जाता था। प्राचीन काल से ही गोपालन भारतीय जीवन शैली व अंर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग रहा

बुलंदशहर के बब्बन मियां गौ सेवा करते-करते चंद सालों में कैसे बन गए करोड़पति ?

बुलन्दशहर के स्याना में एक मुस्लिम युवक में गौ प्रेम देखने को मिलता है. मुस्लिम युवक ने गौ सेवा करने के लिए बाकायदा गौशाला खोल रखी है. और गायों की निःस्वार्थ सेवा सिर्फ इसीलिए करते है क्यो कि गौ सेवा से उनके कारोबार में दिन दूनी रात चैगनी प्रगति हुई है. बताया जाता है कि गौ सेवा करने के बाद से जैसे उनकी लॉटरी लग गयी. जिसके चलते पहले इस मुस्लिम युवक ने दिल्ली में प्रेशर कुकर बनाने की फैक्ट्री खोली और बाद में जब फैक्ट्री चल पड़ी तो उन्होंने बिल्डर के कार्य में भी कदम रखा. इसमें भी उन्हें सफलता हासिल हुई.

रोजाना दूध गरीबों और दोस्तों में बटवाते हैं 

भारत देश की रीढ़ है गौ माता – साध्वी सुमेधा भारती

साध्वी सुमेधा भारती

अजमल खाँ पार्क, करोल बाग दिल्ली में सात दिवसीय श्री गो कथा के अंतिम दिवस में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती जी ने बताया कि आज समय की मांग है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलें। हमारे भारत देश में जब-जब भी गाय पर अत्याचार हुआ तब-तब गो रक्षक आगे आए। उन्होंने अपने प्राणों की चिंता किए बिना गाय माता को प्रत्येक विपदा से बचाया। भगवान श्री कृष्ण जी ने तो गाय को दावानल से बचाने के लिए अग्नि तक का पान कर लिया था। मंगल पांडे जी ने गोरक्षा के लिए फाँसी के फंदे को भी स्वीकार कर लिया था। महाराज दलीप जी ने गाय के बदले अपने प्राण सिंह को देना उचित समझा

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