चरणामृत की महत्ता, उसके औषधीय गुण एवं ग्रहण करने के नियम
मित्रों, मन्दिर अर्थात जहाँ बेचैन मन भी स्थिर हो जाय उसे मन्दिर कहते हैं । जहाँ दुनियाँ के हर प्रकार की समस्याओं का समाधान मिले उसे मन्दिर कहते हैं । मन्दिर जहाँ केवल और केवल पोजिटिविटी अथवा सकारात्मकता अर्थात सकारात्मक उर्जा ही कण-कण में प्रवाहित हो रही हो उसे मन्दिर कहते हैं ।।