बिना गाय के मानव का भविष्य धूमिल है
किसी छोटे से छोटे कार्यक्रम का आयोजन भी बिना उसकी योजना के अपूर्ण ही रहता है। यदि कार्यक्रम की पूर्ण रूपरेखा बना ली गयी है और उसके एक-एक पहलू पर पूर्ण चिंतन-मनन कर लिया गया है तो फिर उसके संपन्न होने में किसी प्रकार की बाधा नही आ सकती। पूर्ण मनोयोग से किये गये कार्य को मिलने वाली असफलता भी कुछ शिक्षा देकर जाती है और उससे व्यक्ति निराश न होकर द्विगुणित ऊर्जा से भरकर पुन: प्रयास करता है और एक दिन सफल हो जाता है। किसी कवि ने कितना सुंदर कहा है :-