परमात्मा का वास्तविक स्वरुप

समुद्रोऽसि, विश्व व्यचा, अजोऽस्येक पाद हिरसि।
―(यजु. अ. 5 मंत्र 33)
भावार्थ―ईश्वर सब प्राणियों का गमनागमन करने वाला, जग व्यापक और (अज) अजन्मा है, जिसके एक पाद में विश्व है।

न तस्य प्रतिमाऽस्ति यस्य नाम महद्यश:।
―(यजु. अ. 32 मं. 3)
भावार्थ―हे मनुष्यों ! ईश्वर कभी शरीर धारण नहीं करता, उसकी मूर्ति या आकृति नहीं है, उसकी आज्ञा पालन ही उसका स्मरण करना है।

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गोवंश विनाश का एक और आयाम

* वैटनरी वैज्ञानिकों को सिखाया-पढाया गया है कि पोषक आहार की कमी से गऊएं बांझ बन रही हैं। वैग्यानिकों का यह कहना आंशिक रूप से सही हो सकता है पर लगता है कि यह अधूरा सच है। इसे पूरी तरह सही न मानने के अनेक सशक्त कारण हैं।

* बहुत से लोग अब मानने लगे हैं कि शायद करोडों गऊओं के बांझ बनने का प्रमुख  कारण कृत्रिम गर्भाधान है ?

* संन्देह यह भी है कि कहीं न्यूट्रीशन को बांझपन का प्रमुख कारण बताकर बांझपन के वास्तविक कारणों को छुपाया तो नहीं जा रहा ?

गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।

गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।

 नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय
की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह
भी जाता है कि गोदान से
ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।
शनि की दशा, अंतरदशा, और साढेसाती के
समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर
देता है।
2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय
की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को गोदान मंगल के प्रभाव
को क्षीण करता है।
3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु
गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता नष्ट
होती है।
4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से
लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं

सेंधा नमक / काला नमक थायराइड, लकवा, मिर्गी आदि रोगों को रोकता है।

आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता। आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है।

सेन्धा नमक

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