दूध से करें ये छोटे से उपाय, घर में होगा लक्ष्मी का स्थाई वास

हिंदू धर्म में चंद्रमा को भगवान के रुप में माना जाता है। माना जाता है कि अगर आपको चंद्रमा खराब है, तो उपाय करने से आपके ऊपर उनकी दया जरुर बनती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि दूध चंद्रमा का कारक है। जिस तरह शिवलिंग में दूध अर्पित करने से सभी ग्रहों का अशुभ फल खत्म हो जाता है। वहीं राहु के बुरे प्रभाव को खत्म करने के लिए सांप को दूध पिलाना अच्छा माना जाता है। इसी तरह कई उपाय है। जिन्हें थोड़े से दूध के द्वारा करने पर आपको धन-धान्य, बल-बुद्धि की प्राप्ति होगी। हर काम में सफलता भी प्राप्त होगी। इतना ही नहीं दूध का कई उपाय करने से आपके घर लक्ष्मी का वास भी हो जाता है। ये भी पढ़े-

गौशाला प्रबंधन एवं कार्यों की जानकारी एवं संयोग

गौशाला प्रबंधन एवं कार्यों की जानकारी एवं संयोग

श्रीमान सादर नमस्कार।
गौ परिषद राजस्थान एक प्रदेश स्तर की स्वयंसेवी संस्था है। इसके द्वारा गौशाला संबंधित सभी प्रकार की जानकारी निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है जो इस प्रकार हैः-
1. समिति रजिस्ट्रेशन एवं नवीनीकरण, कार्यकारणी चुनाव, समिति के संविधान में संशोधन, समिति का नाम सुधार या नाम परिवर्तन आदि में सहयोग।
2. कार्यवाही लिखना एवं बैठक कार्रवाई लिखने में मदद करना एवं इसके लिए उपयुक्त जानकारी देना, वार्षिक प्रतिवेदन तैयार करने में सहयोग, आवक-जावक रजिस्टर तैयार करवाने में सहयोग, विजिटर बुक तैयार करने में सहयोग आदि।

गौपालन में सावधानियाँ

गौपालन में लगे हुए उद्यमियों को निम्न बिंदूओं का ध्यान रखना आवश्यक है, अन्यथा लाभ में निरंतर कमी आती जाएगी|

क. प्रजनन

(अ) अपनी आय को अधिक दूध वाले सांड के बीज से फलावें ताकि आने वाली संतान अपनी माँ से अधिक दूध देने वाली हो| एक गाय सामान्यत: अपनी जिन्दगी में 8 से 10 बयात दूध देती हैं आने वाले दस वर्षों तक उस गाय से अधिक दूध प्राप्त होता रहेगा अन्यथा आपकी इस लापरवाही से बढ़े हुए दूध से तो आप वंचित रहेंगे ही बल्कि आने वाली पीढ़ी भी कम दूध उत्पादन वाली होगी| अत: दुधारू गायों के बछड़ों को ही सांड बनाएँ|

वैतरणी दे पार कर, पूजे सब संसार

वैतरणी दे पार कर, पूजे सब संसार

अंग अंग में देवता, बहे दूध की धार ||
वैतरणी दे पार कर, पूजे सब संसार ||

युगों-युगों से गौमाता
हमें आश्रय देते हुए
हमारा लालन-पालन
करती आ रही है

हमारी जन्मदात्री माँ तो
हमें कुछ ही बरस तक
दूध पिला सकी
परन्तु यह पयस्विनी तो
जन्म से अब तक
हमें पय-पान कराती रही

हमारी इस नश्वर काया
की पुष्टता के पीछे है
उसके चारों थन
जिस बलवान शरीर
पर हमें होता अभिमान
वह विकसित होता
इस गोमाता के समर्पण से

Pages