33 प्रकार के देवताओं का वास गौमाता में है।
33 प्रकार के देवताओं का वास गौमाता में है। प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान, नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त, धनंजय ये 10 प्राण एवं ग्यारहवां जीवात्मा ये ही एकादश रुद्र हैं। ये जब शरीर से निकल जाते हैं, तो प्राणी रुदन करते हैं। गौ इन रुद्रों की माता कही जाती है क्योंकि हमारे शरीर के 10 प्राण एवं जीवात्मा की पुष्टि गौ दुग्ध से होती है। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, सूर्य, चंद्र, तारे ये आठ वसु हैं और समस्त संसार इनमें ही बसा हुआ है। गौ माता इनकी दुहिता है। सूर्य चिकित्सा में वैद्य या हकीम अलग-अलग रंगों की बोतलों में पानी भरकर धूप में रख देते हैं और उनसे मरीजों का इलाज करते हैं। हर रंग की बोतल में स