गाय मईया की महिमा तो अपार है
गाय मईया की महिमा तो अपार है जिसका उलेख शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है संत महात्माओ ने गो माता की महिमा के सम्बन्ध में अनेको व्याख्यान दिए है !
मातर: सर्वभूतानां गाव:
गाय सनातन संस्कृति की रीढ़ है !वेद शास्त्रों के अनुसार गाय माता पृथ्वी के समस्त प्राणियो की जननी है !
गाय के सींगो में ब्रह्मा,ललाट में शंकर,कानो में अश्वनी कुमार,नेत्रों में सूर्य चन्द्र,जीवा में पृथ्वी, पीठ पर नक्षत्रगण,गोबर में महालक्ष्मी,और थनों में चारो समुद्र निवास करते है !
ब्राह्मणों और गुरु के पूजन से जो फल मिलता है ,वही फल गो माता के स्पर्श मात्र से प्राप्त हो जाता है ! बाल्मीक रामायण में आया है
विद्यते गोषु समभाव्यम विद्यते ब्रह्मणे तप:!
विद्यते स्त्रीषु चापळयम विद्यते ज्ञातितो भयम !!
इस श्लोक के प्रथम चरण में देखा जाए तो गाय माता पे ही तेनो लोक स्थित है ! अत: गाय माता प्रत्यक्ष देव है ! शास्त्रों में गाय के गोबर में महालक्ष्मी का निवास बतलाया है ,गो मूत्र में भागीरथी माँ गंगा का निवास है !
अरे वाह सरकार क्या कृपा है श्री युगल सरकार की लेख लिखते लिखते गाय माता के भी दर्शन हो गये, भगवती गाय माता घर की चोखट पे खड़ी है , गो रक्षक श्री गोपाल भी देखो क्या संयोग बनाते है ! श्री राधा श्री राधा श्री राधा !
गाय माता की रक्षा न केवल हर मानव का कर्तव्य है बल्कि धर्म भी है !
गावो ल्क्षम्या: सदा मुलं गोषु पाप्मान विद्यते !
अत्न्मैव सदा गावो देवानां परमं हवि :!!
गाय माता महालक्ष्मी का मूल है,उनमे पाप का लेश मात्र भी नहीं है ! गो माता ही मानव को अन्न और देवताओ को ग्रास प्रधान करती है !
निवटं गोकुलं यत्र श्वासं मुचित निर्भयम !
विराजयति तं देशं पापं चास्यापकषति !!
गाय माता जहा बेठ कर श्वास लेती है, उस स्थान की शोभा में वृद्धि होती है और वहा पे किया हुआ सारा पाप उतर जाता है !
गो माता की सेवा वास्तव में श्री गोपाल सेवा ही है, भगवान श्री कृष्ण गो माता से अपनी माता का भाव रखते थे,और ऐसे कई उदहारण आपको श्री भागवत महापुराण में देखने को मिल जायेंगे !