गोपाअष्ठमी 2017 मुहर्त पूजा विधि ओर महत्व

गोपाष्टमी 2017 : कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के त्यौहार रूप में मनाया जाता है गोपाष्टमी का पर्व गोवर्धन पर्वत से जुड़ा त्यौहार है | श्रीकृष्ण ने गौचारण लीला गोपाष्टमी के दिन शुरू की थी। कहा जाता है की द्वापर युग में श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत को कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा को ब्रज वासियों की भारी वर्षा से रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया था | श्री कृष्ण भगवान की इस लीला से सभी ब्राज़ वासी उस पर्वत के निचे कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक रहे तब जाकर इन्द्र देव को पछतावा हुआ | और इन्द्र देव को वर्षा रोकनी पड़ी | तब से लेकर आज तक गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है | वर्ष में जिस दिन गायों की पूजा अर्चना की जाती है | वह दिन भारत में गोपाष्टमी के नाम से मनाया जाता है । जहाँ गाय पाली-पौंसी जाती हैं उस स्थान को गोवर्धन कहा जाता है ।

गोपाष्टमी मनाने का दिन और दिंनाक.

गोपाष्टमी की पूजा प्रतेक वर्ष ” कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी ” के दिन गौ माता की पूजा की जाती है | वर्ष 2017 में गोपाष्टमी पूजन 28 अक्तूबर को होगा |

गोपाष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त...

गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ – 02:44, 27 अक्तूबर 2017
गोपाष्टमी तिथि अंत – 04:51 28 अक्तूबर 2017

गोपाष्टमी पूजन विधि 

कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी त्यौहार के रूप में मनाया जाता है | यह त्यौहार ब्रज की संस्कृति को पुनर्जीवित उदहारण है | कहा जाता है की इस गोपाष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने गौचारण लीला आरम्भ की थी | कहा जाता है की भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की रक्षा गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा कर की थी उस दिन से भगवान श्री कृष्ण का नाम गोविन्द भी पड़ा था | कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से सप्तमी तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाये रखा था |जिस की वजह से गो-गोपियों की रक्षा की थी | तब जाकर इन्द्र देव का अहंकार समाप्त हुआ और वो श्रीकृष्ण की शरण में आये | और यह भी कहा जाता है की इस दिन कामधेनु ने श्रीकृष्ण का अभिषेक किया था | तब से श्रीकृष्ण जी का नाम गोविन्द पड़ा था |

गोपाष्टमी त्यौहार के दिन गाय के बछड़े सहित पूजा करने की परंपरा है | गोपाष्टमी के दिन नित्य कार्य करने के बाद गायों को स्नान कराकर गौ माता के सींगो में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे लगाकर सजाया जाता है | और गंध-धूप-पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिये | गाय की आरती उतारी जाती है | इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को उपहार देकर उनका भी पूजन करते हैं | गायों को गो-ग्रास दिया जाता है | गोपाष्टमी के दिन जब गाये चरकर घर आये तब भी उनको गो गास खिलाना चाहिए | और उनके चरणों को माथे से लगाये | गोपाष्टमी का त्यौहार मुख्यतय गोशालाओं में मनाया जाता है | गोपाष्टमी के दिन गोशालाओं में दान देना चाहिए | और इस दिन गाय की रक्षा करनी चाहिए।

गोपाष्टमी पूजन का महत्व

हिन्दू धर्म में गायो का दर्जा उतना ही बताया गया है की जितना माँ का दर्जा होता है | कहा जाता है की माँ का ह्रदय जितना कोमल और सरल होता है उतना ही गौ माता का होता है | कहा जाता है की माँ अपने बच्चे के लालन पालन में कोई कमी नहीं रखती है उसी प्रकार गौ माता भी मनुष्य जाती को लाभ प्रदान करती है | कहा जाता है की गाय से उत्पन प्रतेक चीज लाभदायक होती है चाहे वह उसक दूध ,दही ,यहाँ तक की उसका मूत्र भी लाभदायक होता है | इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है की गाय की हम रक्षा करे | कहा जाता है की दवापर युग में कृष्ण भगवान ने गायो की सेवा की थी | जब भगवान ने गायो की सेवा की तो हम तो मनुष्य है | हमारी तो गाय पूज्यनीय है और माता के सामान है | तो हमें भी गायो की पूजा करनी चाहिए |

गोपाष्टमी पर पौराणिक कथा..

जब भगवन श्रीकृष्ण छ वर्ष के थे तब वे बछड़े चराये करते थे उस वक्त श्रीकृष्ण को गाये चराने की इच्छा हुई | तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी माता से कहा की में गाये चारुगा तो माता ने नन्द जी से कहकर अनुमति ले ली और अच्छा महूर्त निकलने को कहा |ऋषियों के द्वारा अच्छा समय गोपाष्टमी का शुभ दिन बताया गया है | उस दिन बालक कृष्ण को माता ने बहुत सजाया मोर मुकट लगाया पैरो में घुंघरू पहनाये और सुन्दर पादुका दी तो भगवान कृष्ण ने कहा की तुम इन गायो के पैरो में पहना दो तब कान्हा ने गायों की पूजा की और गायो को चराने चले गए | इस प्रकार कार्तिक शुक्ला पक्ष के दिन से गोपाष्टमी का त्यौहार मनाना शुरू हुआ था |

गोपाष्टमी के दिन ब्रज में गऊशालाओं व गाय पालकों की पूजा अर्चना की जाती है | गायो की इस दिन दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि पूजा की जाती है | महिलाये गायो से पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गायो को तिलक लगाती हैं | गायों को हरा चारा, गुड़ खिलाकर उन्हें पूजा जाता है | कहा जाता है की गोपाष्टमी के दिन गायो की पूजा करना श्री कृष्ण को बहुत प्रिय था | गोपाष्टमी त्यौहार पर जगह-जगह अन्नकूट के भंडारे लगाये जाते है | भंडारे में श्रद्धालु अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं | गोपाष्टमी के दिन मंदिरों में सत्संग-भजन का आयोजन किया जाता है | गोऊ सेवा से जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य सदैव सुखी रहता है |

Blog Category: