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गोरक्षक: महात्मा रामचन्द्र वीर

गोरक्षक: महात्मा रामचन्द्र वीर

रामचन्द्र वीर (जन्म १९०९ - मृत्यु २००९) एक लेखक, कवि तथा वक्ता और धार्मिक नेता थे। उन्होंने 'विजय पताका', 'हमारी गोमाता', 'वीर रामायण' (महाकाव्य), 'हमारा स्वास्थ्य' जैसी कई पुस्तकें लिखीं। भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन, गोरक्षा तथा अन्य विविध आन्दोलनों में कई बार जेल गये। विराट नगर के पञ्चखंड पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र उनके पुत्र हैं।

गायों की प्रचूरता के कारण ही भारतभूमि यज्ञभूमि बनी है

गायों की प्रचूरता के कारण ही भारतभूमि यज्ञभूमि बनी है

गायों की प्रचूरता के कारण ही भारतभूमि यज्ञभूमि बनी है । पर आज हमने गायों को दुर्लक्षित कर दिया है इसी कारण देश के प्राणों पर बन पडी है । गाय के सान्निध्य मात्र से ही मनुष्य प्राणवान बन जाता है । आज हमारे शहरी जीवन से हमने गाय को कोसों दूर कर दिया है । परिणाम स्पष्ट है मानवता त्राही-त्राही कर रही है और दानवता सर्वत्र हावी है ।

परमात्मा का वास्तविक स्वरुप

समुद्रोऽसि, विश्व व्यचा, अजोऽस्येक पाद हिरसि।
―(यजु. अ. 5 मंत्र 33)
भावार्थ―ईश्वर सब प्राणियों का गमनागमन करने वाला, जग व्यापक और (अज) अजन्मा है, जिसके एक पाद में विश्व है।

न तस्य प्रतिमाऽस्ति यस्य नाम महद्यश:।
―(यजु. अ. 32 मं. 3)
भावार्थ―हे मनुष्यों ! ईश्वर कभी शरीर धारण नहीं करता, उसकी मूर्ति या आकृति नहीं है, उसकी आज्ञा पालन ही उसका स्मरण करना है।

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गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।

गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।

 नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय
की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह
भी जाता है कि गोदान से
ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।
शनि की दशा, अंतरदशा, और साढेसाती के
समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर
देता है।
2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय
की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को गोदान मंगल के प्रभाव
को क्षीण करता है।
3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु
गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता नष्ट
होती है।
4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से
लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं

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