इस्लाम धर्म में गाय का महत्व——-

देश में विद्वेषपूर्ण और भ्रमक प्रचार किया जाता हैं कि इस्लाम गौवध कि इजाजत देता हैं | किन्तु ऐसा नहीं हैं निम्नलिखित उदाहरणों व तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट होता हैं कि इस्लाम व पैगम्बर साहब सदा गाय को आदर की नजर से देखते थे |
——( बेगम हजरत आयशा में ) हजरत मों. साहब लिखते हैं कि गाय का दूध बदन की ख़ूबसूरती और तंदुरुस्ती बढाने का बड़ा जरिया हैं |
—–(नासिहते हाद्रो) हजरत मों. साहब लिखते हैं कि गाय का दूध और घी तंदुरुस्ती के लिए बहुत जरूरी हैं | और उसका मांस बीमारी पैदा करता हैं | जबकि उसका दूध भी दवा हैं |
——( कुरान शरीफ 16 – 66 ) में लिखा हैं कि बिलासक तुम्हारे लिए चौपायों में भी सीख हैं | गाय के पेट की चीजों से गोबर और खून के बीच में से साफ़ दूध पीने वालों के लिए स्वाद वाला हैं | हजरत मों साहब ने कहा हैं कि गाय दौलत कि रानी हैं | जब भारत में इस्लाम का प्रचार शुरू हुआ, तब गौ रक्षा का प्रश्न भी सामने आया, इसे सभी मुस्लिम शासको ने समझा और उन्होंने फरमान जारी करके गाय बैल का क़त्ल बंद किया था |
—–जम्मू एंड कश्मीर में लगभग पांच सौ वर्षों से गाय का क़त्ल बंद हैं |
——” मौलाना फारुखी लिखित ” खेर का बरकत से पता चलता हैं कि सरीफ मक्काने में भी गौ हत्या बंद करवाई गई थी |
——मुसलमानों को गाय नहीं मारना चाहिए ऐसा करना हदीस के खिलाफ हैं | यह बात मौलाना हयात सा व खानखाना हाली समद सा. ने कही थी |
—–तफसीर हर मंसूर ने कहा कि गाय कि बुजुर्गी इहतराम किया करो, क्योंकि वह तमाम चोपायों कि सरदार हैं |
——बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ जैसे शाशकों ने सौ से ज्यादा उलेमा, अहले सुप्त्के फ़तवा के मुताबिक गाय की क़ुरबानी बंद करवाई थी |
—–भारतीय स्वतंत्र संग्राम के प्रसिद्द सेनानी हाकिम अजमल खान का कहना हैं कि ना तो कुरान और न अरब कि प्रथा हैं की गाय कि क़ुरबानी हो |
—— जब सन 1922 में मौलाना अब्दुल बीरा सा. ने गाय कि क़ुरबानी बंद करवाई तो महात्मा गांधी ने उसका स्वागत किया था | किन्तु दुर्भाग्य से अंग्रेजी शासन में गाय बैल का क़त्ल प्रारंभ हो गया, अंग्रेजो कि फ़ौज गाय बैल का मांस बड़े शोक से खाती थी | इसलिए उन्होंने इस धंधे पर मुस्लिम कसाइयों को लगाया था ताकि हिन्दू और मुस्लिम भाइयों के बीच गहरे मतभेद हो जाये, यही प्रमुख कारण था, और आज भी हैं |
—–“गाय चौपायों की सरदार है” – कुरान
—–” गाय का दूध-घी शिफा (दवा) है और गौमांस बीमारी है” मोहम्मद साहब
—-“खुदा के पास खून और गोश्त नहीं पहुँचता – त्याग की भावना पहुँचती है”
—–एक धार्मिक महिला को बिल्ली को मारने के कारण दोजख मिला, एक बदनाम महिला को कुत्ते को पानी पिलाने के कारण जन्नत मिली.
—–जिस देश में रहते हो उसके कानून का पालन करो.
——पडोसी को दुःख पहुँचाना पाप है.
—–बाबर से बहादुर शाह जफ़र तक के शासन काल में गोहत्या प्रतिबंधित थी.
——बहादुर शाह जफर ने स्वयं मुनादी फिरवाई थी कि बकरीद पर गाय की कुर्बानी करने वाले को तोप से उड़ा दिया जायेगा
—- “गो हत्या करने वाले aके विरुद्ध, क़यामत के दिन, मोहम्मद साहब गवाही देंगे” – देव बंद के फतवे का सार….