गायों की प्रचूरता के कारण ही भारतभूमि यज्ञभूमि बनी है

गायों की प्रचूरता के कारण ही भारतभूमि यज्ञभूमि बनी है

गायों की प्रचूरता के कारण ही भारतभूमि यज्ञभूमि बनी है । पर आज हमने गायों को दुर्लक्षित कर दिया है इसी कारण देश के प्राणों पर बन पडी है । गाय के सान्निध्य मात्र से ही मनुष्य प्राणवान बन जाता है । आज हमारे शहरी जीवन से हमने गाय को कोसों दूर कर दिया है । परिणाम स्पष्ट है मानवता त्राही-त्राही कर रही है और दानवता सर्वत्र हावी है ।

तपोभूमि भारत ॠषियों की भूमि है । तपस्या के द्वारा यहाँ ज्ञान व विज्ञान दोनों का ही परमोच्च विकास हुआ । अपने गहन अंतरतम में प्रसुप्त सत्य को प्रकाशित करना ज्ञानयज्ञ है । वहीं सत्य जब जीवन के व्यवहार में उतारा जाता है तब ज्ञान के इस विशेष प्रयोग को विज्ञान कहते हैं । हिन्दू जीवन पद्धति के हर अंग की वैज्ञानिकता का यही रहस्य है । आधुनिक भौतिक विज्ञान की प्रगति के साथ जहाँ अन्य मतों को अपने धर्मग्रंथों को बदलना पड रहा है, वहीं दूसरी ओर जैसे-जैसे अणु से भी सूक्ष्म कणों पर प्रयोग के द्वारा सृष्टि के सुक्ष्मतम रहस्यों की खोज होती जा रही है वैसे-वैसे वेदोक्त हिन्दू सिद्धान्तों की पुष्टि होती जा रही है । बीकानेर के लालेश्वर महादेव मंदिर के महंत संवित सोमगिरीजी महाराज को रक्षा अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने सूचना दी कि आधुनिक भौतिक विज्ञान की खोजें वेदान्त के सिद्धान्तों को साबित कर रही है तो स्वामीजी ने अनायास कहा, ‘‘इसका अर्थ है अब भौतिक विज्ञान सही दिशा में आगे ब‹ढ रहा है । वेद तो सत्य है ही उनके निकट आने से आधुनिक विज्ञान की सत्यता स्पष्ट होती है । यदि हमारे ॠषियों की बातें आज हमें वैज्ञानिक आधार पर स्पष्ट नहीं हो पा रही है तो शंका उनकी सत्यता पर नहीं विज्ञान के अधूरेपन पर करनी होगी ।”