गौ महिमा

गाय तो भगवान की भगवान है

गाय तो भगवान की भगवान है

उपनिषद्, महाभारत,चरकसंहिता,अष्टंागहृदय,भावप्रकाश,निघंटु,आर्यभिषेक,आिद ग्रंथों  में तथा विज्ञान और साहित्य में गाय के दूध की महिमा गाई गई है ।

1२.गाय तो भगवान की भगवान है, भूलोक पर गाय सर्वश्रेष्ठ प्राणी है ।

1३.दूध जैसा पौष्टिक और अत्यन्त गुण वाला ऐसा अन्य कोई पदार्थ नहीं है ।दूध जो मृत्युलोक का अमृत है ।सभी दूधों में अपनी माँ का दूध श्रेष्ठ है,और माँ  का दूध कम पड़ा तो वहाँ से गाय का दूध बच्चों  के लिए अमृत सिद्ध हुआ है ।

1४.गौदु््ग्ध मृत्युलोक का अमृत है मनुष्यों के लिए । शक्तिवर्धक,रोगप्रतिरोधक,रोगनाशक तथा गौदुग्ध जैसा दिव्य पदार्थ त्रिभुवन में भी अजन्मा है ।

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परमेश्वर के शब्द गौमाता के प्रति इस रूप में प्रकट हुए हैं

परमेश्वर के शब्द गौमाता के प्रति इस रूप में प्रकट हुए हैं

माता रुद्राणाम् दुहिता वसुनाम् स्वसादित्यानाममृतस्य नाभि:। 

प्रनु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिम् वधिष्ट 

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गाय भारत की आत्मा है।

औद्यौगिकीकरण की आंधी अभी तक इस ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पूरी तरह उखाड़ नहीं पायी थी किन्तु नई आर्थिक नीति के कारण ग्रामीण अर्थनीति को खतरा पैदा हो गया है। ये अपनी विशाल पूंजी और अचूक प्रचारशक्ति से शीघ्र ही भारतीय बाजारों पर पूर्ण अधिकार कर लेंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने में आत्मसात कर लेंगे। इस विषम परिस्थितियों में गोरक्षा नई जीवन पद्धति को दृष्टि दे सकती है। पूरी अर्थव्यवस्था के परिवर्तन की व्यापक मांग का गाय एक प्रतीक है। उसे ‘गाय बचाओ’ के रूप में देखने जैसा है। गाय भारत की आत्मा है। शरीर में जितना महत्व आत्मा का है वही महत्व गाय का भारत के जीवन में आदिकाल से रहा है और आज भी है| अभ

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यह सारी कामनायें पूर्ण करने वाली ‘‘कामधेनु’’है।

यह सारी कामनायें पूर्ण करने वाली ‘‘कामधेनु’’है।

भारत में गाय मात्र दुधारू पशु नहीं है, यह सारी कामनायें पूर्ण करने वाली ‘‘कामधेनु’’है। इससे लाखों परिवारों का पोषण होता है। डेयरी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में ४९ हजार ग्रामीण दुग्ध उत्पादन सहकारी संगठनों के लगभग ५० लाख से ज्यादा ग्वाल परिवार प्रतिदिन ८० लाख टन दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। सन् १९८७ में दुग्ध उत्पादन ४ करोड़ टन के आसपास रहा, जो १९९५ में बढ़कर ५ करोड़ ४९ लाख टन हो गया है। दुग्ध उत्पादन में ग्वाल परिवार के अलावा सहकारी एवं निजी डेयरियां एवं गोभक्तों की बड़ी जमात सक्रिय है। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का १५००० करोड़ रुपये का योगदान माना जाता है,उसमें ७०% दूध तथा

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