गोवर्धन पूजा का महत्व और विधि

गोवर्धन पूजा का महत्व और विधि

कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को ही गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूटए बलि पूजा और मार्गपाली जैसे नामों से भी जाना जाता है। गोवर्धन की पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से शुरू हुई। वैदिक वाटिका आपको बता रही है कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा और इस पूजा से कौन कौन सी समस्याएं दूर होती हैं आपकी।
गोवर्धन पूजा का महत्व और  विधि

गोवर्धन पूजा की विधि
इस दिन आप गाय, बैल आदि पशुओं का धूप, चंदन और फूल माला आदि से उनका पूजना किया जाता है। गौ माता की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना होती है। इस दिन गौ माता की पूजा करके उनकी आरती उतारी जाती है।

गोवर्धन के  दिन आप अपने घर के अंगन में गाय के गोबर का पर्वत बनाएं।
गोबर का पर्वत बनाकर चावलए रोलीए मौलीए फूलए तेल का दीपक और दही आदि से इस पर्वत की पूजा होती है।
और बाद में परिक्रमा भी। साथ ही अपने सच्चे मन और विश्वास से भगवान से अपनी प्रर्थाना करें।

गोवर्धन के दिन भगवान कृष्ण के लिए तरह तरह के पकवान भी बनाने चाहिए यानि की छप्पन भोग। और उन्हें नैवेध भी चढ़ाना चाहिए।

गोवर्धन पूजा का महत्व
इस दिन पूजा करने से इंसान के जीवन में कभी भी आर्थिक संकट नहीं आता है। और घर में सुख शांति भी आती है। गोवर्धन पूजा करने से इंसान को किसी भी प्रकार की परेशान या कष्ट नहीं सताते हैं।
जो इंसान गोवर्धन पूजा को विधि विधान से करता है उनके उपर सभी देवी देवता और स्वयं भगवान कृष्ण अपनी कृपा करते हैं।

साभार : vedicvatica