गाय का दूध शिफा है

गाय का दूध शिफा है

गाय के प्रति मुहम्मद साहब की पत्नी आयशा ने कहा कि फरमाया रसूल अल्लाह ने गाय का दूध शिफा है और घी दवा तथा उसका मांस रोग  है। अर्थात मांस खाना रोगों को बुलाना है, इसलिए बात साफ है कि गोवध वहां भी निषिद्घ है। इसी बात को मुल्ला मोहम्मद बाकर हुसैनी का कहना है कि गाय को मारने वाला, फलदार दरख्त को काटने वाला और शराब पीने वाला कभी नही बख्शा जाएगा।

जनाब मुजफ्फर हुसैन जी ने एक किताब लिखी है ‘इसलाम और शाकाहार’ उसमें उन्होंने प्रमाणों से सिद्घ किया कि इस्लाम में भी गोवध की मनाही है। भारत की प्राचीन काल से ही जीवन जीने की नीति रही है कि आत्मवत सर्वभूतेषु य: पश्यति स पश्यति-अर्थात जो सब प्राणियों को अपने समान जानता है, वही ज्ञानी है, बात साफ है कि जब आप सबको अपने समान ही जानोगे या मानोगे तो फिर किसी की हिंसा करने का प्रश्न ही कहां रह गया? नीतिकार ने स्पष्ट किया है कि आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् अर्थात जो व्यवहार या कार्य या बात आपको अपने लिए अच्छी नही लगे उसे दूसरों के साथ भी मत करो। अब जब हम अपनी मृत्यु हिंसा से नही चाहते हैं तो हमें दूसरों के साथ भी हिंसात्मक व्यवहार नही करना चाहिए। इसी बात को यजुर्वेद (12/32) ने मा हिंसी तन्वा प्रजा: कहकर हमें निर्देशित किया है कि प्रजाओं को अर्थात किसी भी प्राणी को अपने शरीर से मत मार। यह निर्देश वेद का हिंसा निषेध है।

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