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देशी गाय में वात्सल्य भावना कूट—कूटकर भरी होती है

भारतीय देशी गाय में वात्सल्य भावना कूट—कूटकर भरी होती है। वह अपने बच्चे को जन्म देने के बाद 18 घंटे तक चाटती—दुलारती रहती है। यही कारण है कि सैंकड़ों बछड़ों के बीच भी अपने बच्चे को पहचान लेती है। और तो और, गाय जबतक अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती है, तबतक दूध नहीं देती है। जबकि भैंस या जर्सी गाय चारा खाते ही दूध दूहने की अनुमति दे देती है। यही कारण है कि गाय का दूध पीने वाले बच्चे में काफी शांत और सौम्य आचरण एवं व्यवहार ज्यादा देखे गए हैं।

 गौ दर्शन से

जीवन मे पुण्य और लाभ को पाने के लिए जाने कितने लोग क्या-क्या करते हैं| कितने सारे धर्म-कर्म करते हैं| हमारे शास्त्रों मे कितने सारे काम हैं जिन्हें करने से हमें ही नही साथ-साथ कितने लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती हैं| लेकिन गरुड़ पुराण मे ऐसी कई चीज़ें बताई गई हैं जिन्हें मात्र देखने से या यू कहें की जिनके दर्शन मात्र करने से हमें पुण्य की प्राप्ति होती हैं| इसलिए हम ऐसी ही कुछ चीज़ों के बारे मे बताएँगे जिनके दर्शन मात्र से आप, हम और सारे लोग पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं और साथ-साथ लाभ की भी प्राप्ति  कर सकते हैं|

गरुड़ पुराण मे एक श्लोक लिखा हुआ हैं-

 

गाय बचाओ -मानवता बचाओ .

गाय मनुष्य जाती की सबसे अच्छी मित्र है
गाय हमें दूध देती है
गाय के गोबर से कंडे बनतें हैं जो हमारा खाना बनाने में मदद करतें हैं .
क्यों बचपन में ऐसा ही कुछ निबंध में लिखते थे
बचपन की शितानियाँ और दोस्त तो याद है लेकिन ये निबंध भूल गए .

क्यूँ क्या गाय ने ढूध देना बंद कर दिया ,गाय अब गोबर नहीं देती .?
गाय बचाओ -मानवता बचाओ 

गौ माता

श्री मान पता नहीं आप मेरे तर्क से सहमत होंगे या नहीं परन्तु मेरी धारणा है की, हिन्दू समाज के साधू ,,संत और अदि शंकराचार्य की निष्क्रियता ही समस्त समाज के पतन का कारण है,, चारों शंकराआचार्या जी अपने अपने मठों में मगन हैं,,बाकि के साधू संत अपने अपने आश्रमों में आनंदमयी जीवन व्यतित कर रहे हैं,,कोई धर्म संसद नहीं ,,कोई अनुशान नहीं ,,कोई दिशा निर्देश नहीं,,आज समाज का साधरण मानव गौ रक्षा के लिए जूझ रहा है,,परन्तु इस पुण्य कर्म के लिए साधू और संत समाज का योगदान नाम मात्र को ही मिल रहा है,, जबकि हमारे देश में असंख्य ऐसे मठ भी हैं जिनके पास सैंकढ़ों एकड़ जमीन है,,यदि समस्त साधू समाज चाहे तो एक आव्हा

भारत में गाय का धार्मिक महत्व हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गाय में देवी-देवता 'वास' करते हैं इसलिए इसे पावन माना जाता है और समाज में इसकी पूजा की जाती है. तो सवाल ये है कि वह गाय कौन सी है जिसे पूजनीय माना जाता रहा है ? क्या दुनिया की सारी गायें उतनी ही पवित्र हैं या फिर सिर्फ़ वही जो अखंड भारत में पैदा हुई हैं.

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