Skahore's blog

बिना गाय के मानव का भविष्य धूमिल है

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किसी छोटे से छोटे कार्यक्रम का आयोजन भी बिना उसकी योजना के अपूर्ण ही रहता है। यदि कार्यक्रम की पूर्ण रूपरेखा बना ली गयी है और उसके एक-एक पहलू पर पूर्ण चिंतन-मनन कर लिया गया है तो फिर उसके संपन्न होने में किसी प्रकार की बाधा नही आ सकती। पूर्ण मनोयोग से किये गये कार्य को मिलने वाली असफलता भी कुछ शिक्षा देकर जाती है और उससे व्यक्ति निराश न होकर द्विगुणित ऊर्जा से भरकर पुन: प्रयास करता है और एक दिन सफल हो जाता है। किसी कवि ने कितना सुंदर कहा है :-

गाय माता देश में असुरक्षित क्यों है ??

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भारत में गाय माता होकर भी असुरक्षित क्यों है? जब इस प्रश्न पर विचार किया जाता है तो पता चलता है कि इसके एक नही अनेक कारण हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण है कि भारत ने दूसरों को सम्मान देते-देते अपने सांस्कृतिक मूल्यों को या तो भुला दिया या फिर दूसरों को प्रसन्न करने के लिए उन पर अधिक बल नही दिया। इसे कुछ स्वार्थी विदेशी लेखकों ने या विद्वानों ने भारत की परंपरागत सहिष्णुता या उदारता के रूप में महिमामंडित किया और इस महिमामंडन के माध्यम से वे अपना स्वार्थ सिद्घ कर गये। हम भारतीय अपने स्वभाव से सहिष्णु या उदार हैं, इसमें दो मत नही हैं-परंतु हमें कितना सहिष्णु या उदार होना चाहिए?

गौ माता की अद्भुत महिमा

महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है |

१. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारण नहीं समझना चाहिये गौ के शरीर में “३३ करोड़ देवी देवताओ” का वास होता है. गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है |

२. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन-मन-धन से गौ की सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है. |

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ऐसे करें गौ सेवा ..

घर में गाय के दूध, दही, घृत का उपयोग करें| पंचगव्य निर्मित साबुन, शेम्पू, उबटन तथा ऐसे ही अन्य उत्पादों का अधिकाधिक उपयोग करें| बीमारियों में पंचगव्य औषधियों का उपयोग करें |

भोजन से पहले गो ग्रास देने की आदत सभी परिवारजनों में डालें| परिवार के बच्चों एवं अन्य सदस्यों के साथ गाय के महत्त्व की चर्चा करें |

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