गाय का आध्यात्मिक महत्वः
गाय का विश्व स्तर पर आध्यात्मिक महत्व है, ''गावो विश्वस्य मातरः''। नवग्रहों सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, केतु के साथ साथ वरूण, वायु आदि देवताओं को यज्ञ में दी हुई प्रत्येक आहुति गाय के घी से देने की परंपरा है, जिससे सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है। यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारण बनती है, और वर्षा से ही अन्न, पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में जितने धार्मिक कार्य, धार्मिक संस्कार होते हैं जैसे नामकरण, गर्भाधान, जन्म आदि सभी में गाय का दूध, गोबर, घी, आदि का ही प्रयोग किया जाता है जहां विवाह संस्कार आदि होते हैं वहां भी गोबर के लेप से शुद्धिकरण की क्रिया करते हैं। विवाह के समय गोदान का भी बहुत महत्व माना गया है। जनना शौच और मरणाशौच मिटाने के लिए भी गाय का गोबर और गौमूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसकी धार्मिक वजह यह भी है कि गाय के गोबर में लक्ष्मी जी का और गोमूत्र में गंगा जी का निवास है।
वैतरणी पार करने के लिए गोदान की प्रथा आज भी हमारे समाज में मौजूद है, श्राद्ध कर्म में भी गाय के दूध की खीर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसी खीर से पितरों की ज्यादा से ज्यादा तृप्ति होती है। पितर, देवता, मनुष्य आदि सभी को शारीरिक बल गाय के दूध और घी से ही मिलता है। गाय के शारीरिक अंगों में सभी देवताओं का निवास माना जाता है। गाय की छाया भी बेहद शुभ प्रद मानी गयी है। गाय के दर्शन मात्र से ही यात्रा की सफलता स्वतः सिद्ध हो जाती है। दूध पिलाती गाय का दर्शन तो बेहद शुभ माना जाता है।