सरकारी अफसरों से भरे परिवार में उसने बहुत पहले तय कर लिया था कि वह अपने मन का काम करेगी. इसीलिए 2010 में उसने एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के दिल्ली में कनॉट प्लेस वाले दफ्तर की मैनेजरी को तौबा किया और मुंबई चली गई. यहां एक सहेली के साथ मिलकर लोखंडवाला में ‘बॉटलग्रीन’ नाम से स्टाइलिश कपड़ों का शोरूम शुरू कर दिया. काम चल निकला.
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एक भक्त और गौ माता
श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण गायों के समूह के पीछे पीछे चलते थे .
इस पर एक भक्त ने गौ माता से इस प्रकार पूंछा-
भक्त -
गोमाता ! तुम अपने ईष्ट देव के आगे आगे क्यों चलती हो ?
उनके तो पीछे पीछे चलने का विधान है.
गौ -
आप भूल कर रहे हो अधिष्ठान तो सदा पीछे ही रहता है.
भगवान मेरे ईष्ट और संरक्षक है ,
उनके द्वारा संरक्षित हम अपने गंतव्य स्थान पर बिना किसी भय और संकोच के शीघ्र पहुँच जाती है तो मैया हमारा दूध निकालकर उबालकर शीघ्र लाला को पिला देती है.
जीवन परमात्मा का अनमोल उपहार है। यह स्वयं ही इतना दिव्य, पवित्र और परिपूर्ण है कि संसार का कोई भी अभाव इसकी पूर्णता को खंडित करने में असमर्थ है। आवश्यकता यह है कि हम अपने मन की गहराई से अध्ययन कर उसे उत्कृष्टता की दिशा में उन्मुख करें।
ईर्ष्या, द्वेष, लोभ एवं अहम के दोषों से मन को विकृत करने के बजाए अपनी जीवनशैली को बदल कर सेवा, सहकार, सौहार्द जैसे गुणों के सहारे मानसिक रोगों से बचा जा सकता है और मानसिक क्षमताओं को विकसित किया जा सकता है।
इसीलिए कहा जाता है कि मनुष्य जीवन चार तरह की विशेषताएं लिए रहता है।
इस संबंध में एक श्लोक प्रस्तुत है -
हरियाणा में पशुपालन विभाग राज्य के सभी जिलों में आधुनिक डेयरी की स्थापना करेगा। इस डेयरी की स्थापना के लिए लोगों को ब्याज मुक्त ऋण मुहैया कराया जाएगा। इन डेरियों में सब कुछ आधुनिक तरीके से किया जाएगा। गायों से दूध निकालने से लेकर गोबर के उठान तक सब कुछ मशीन आधारित होगा। ताकि गायों की सुरक्षा के साथ-साथ लोगों को जो दूध और घी मिले, वह भी स्वास्थ्यवर्धक हो। योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके महापात्रा ने राज्य के सभी जिलों में पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर से संपर्क करना शुरू कर दिया है।
प्रश्न—गोरक्षा के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर—गायों की रक्षा के लिए उनको अपने घरों में
रखना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए | गाय के
ही दूध-घी का सेवन करना चाहिए, भैंस आदि का नहीं |
गायों की रक्षा के उद्देश्य से ही गोशालाएँ
बनानी चाहिए, दूध के उद्देश्य से नहीं | जितनी गोचर-
भूमियाँ हैं, उनकी रक्षा करनी चाहिए तथा सरकार से
और गोचर-भूमियाँ छुड़ाई जानी चाहिए | सरकार
की गोहत्या-नीति का कड़ा विरोध करना चाहिए और
वोट उनको ही देना चाहिए, जो पूरे देश में पूर्णरूपसे
गोहत्या बंद करने का वचन दें |